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सख्ती और जागरूकता का प्रदूषण पर वार, एक्यूआइ महज 100 पार

जागरण संवाददाता हापुड़ बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए शासन-प्रशासन से लेकर प्रदूष

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 06:40 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 06:40 PM (IST)
सख्ती और जागरूकता का प्रदूषण पर वार, एक्यूआइ महज 100 पार

जागरण संवाददाता, हापुड़

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बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए शासन-प्रशासन से लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर एक्शन में हैं। प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों, ईंट-भट्ठों, कोल्हू, हाटमिक्स प्लांट आदि को बंद कराया जा चुका है। जुर्माने की कार्रवाई की जा रही है। लोगों से प्रदूषण न फैलाने की अपील की जा रही है, जिसका नतीजा यह है कि 10 नवंबर तक लाल श्रेणी में रहने वाला वायु गुणवत्ता सूचकांक(एक्यूआइ) माह में पहली बार दो से नीचे चला गया है। अगर ऐसे ही जागरूकता दिखाई तो दीवाली के बाद भी प्रदूषण का स्तर कम ही रहेगा। जिले के कई इलाकों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। इसको लेकर प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण को लगी टीमें लगातार निरीक्षण कर रही हैं। हाल ही में एसडीएम धौलाना अरविद द्विवेदी ने पालीथिन जलाने के मामले में एक कोल्हू को सील कराया गया। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अवर अभियंता रंजीत कुमार ढाई लाख रुपये का जुर्माना लगाया। प्रशासन की सख्ती का नतीजा यह रहा कि शुक्रवार को रात में दो बजे एक्यूआइ 185 अंक दर्ज किया गया। यह नवंबर माह में सबसे कम एक्यूआइ दर्ज किया है। इससे पहले एक नवंबर से शहर का एक्यूआइ लगातार लाल श्रेणी में दर्ज किया जा रहा था। 31 अक्टूबर को 300 से नीचे दर्ज किया था। हालांकि शुक्रवार दोपहर 12 बजे शहर का एक्यूआइ 225 अंक दर्ज किया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा का कहना है कि प्रदूषण को जागरूकता से ही कम किया जा सकता है। इसको रोकने के लिए लगातार निरीक्षण किए जा रहे हैं। कोशिश है कि वायु प्रदूषण न होने पाए। खुद होना पड़ेगा जागरूक

वायु प्रदूषण को लेकर लोग कम जागरूक हैं, लिहाजा जागरूकता की जरूरत है। जब तक उन्हें इसके खतरों का पता नहीं चलेगा, तब तक वे इसे रोकने की भी पहल नहीं करेंगे। सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई के साथ लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। हर्ष शर्मा, एडवोकेट

खतरों के प्रति आगाह किया जाए

वायु प्रदूषण शरीर के लिए बेहद हानिकारक है। प्रत्यक्ष रूप से हमें इससे होने वाले नुकसान का पता नहीं चलता, लेकिन तेज खतरनाक श्रेणी में जब वायु प्रदूषण पहुंच जाता है तो आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत महसूस की जाती है। लोगों को इसके दुष्परिणामों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। अजय मित्तल, प्रवक्ता

खतरों से अनजान हैं लोग

जिला फिलहाल शांत श्रेणी में माना जाता है, लेकिन अब वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। साथ ही दिल्ली-गाजियाबाद के नजदीक होने के चलते वायु प्रदूषण अधिक हो जाता है। विनीत जिदल, मेडिकल स्टोर संचालक लोगों को समझनी होगी अपनी जिम्मेदारी वायु प्रदूषण को लेकर लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। केवल सरकारी प्रयासों के भरोसे प्रदूषण नहीं रोका जा सकता। जब तक सामाजिक सहभागिता नहीं होगी, इससे पार पाना मुश्किल है। लोग स्वयं अपनी जिम्मेदारी तय करें तो प्रदूषण से छुटकारा मिल जाएगा। पुनीत शर्मा, एलआइसी


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