मकर संक्रांति का विशेष महत्व, दान करने से होती हैं मनोकामनाएं पूर्ण
जागरण संवाददाता हापुड़ इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। सुबह 816
जागरण संवाददाता, हापुड़:
इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। सुबह 8:16 से सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिसका पुण्य काल सुबह 8:30 बजे से शाम 5:45 तक रहेगा। महापुण्य काल सुबह 8:30 से 10:15 बजे तक है। इस दिन तिल से बने खाद्य पदार्थ का दान करने से कई गुना फल मिलता है।
मकर संक्रांति पर्व हिदू त्योहारों में सबसे मुख्य माना जाता है। सूर्य भगवान इसी दिन दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं, जिस उत्तरायण काल में प्रत्येक शुभ कार्य पूजा-पाठ धर्म अनुष्ठान यज्ञ आदि का विशेष महत्व बताया गया है। पंडित संतोष तिवारी का कहना है कि मकर संक्रांति से कई महत्व जुड़े हैं। माघ शुक्ल सप्तमी को ही सूर्यदेव सर्वप्रथम अपने रथ पर सवार हुए थे इसलिए माघ मास में ही यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है। सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने के लिए आते हैं अर्थात मकर के स्वामी शनि है और सूर्य शनि का समागम होने के कारण भी यह पर्व विशेष है। इस दिन गंगा सागर में स्नान करने का विशेष महत्व है।
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दान करने से मिलेगा फल:
माघ मास में तिलों का प्रयोग सर्वोत्तम बताया गया है। इसलिए तिल दान सर्वश्रेष्ठ दान है। सफेद तिल संयुक्त पात्र पूर्ण पात्र का दान भी विशेष महत्व रखता है। तिलों के तेल का भोजन, गुड़ तिल के लड्डू, खिचड़ी और तिल के बने हुए अन्य पदार्थों का दान किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त उड़द, रूई, कंबल, ऊनी आसन,पादुका, स्वर्ण, गोदान, विद्यादान आदि भी दान कर सकते है। इस दिन दान करने से इंसान का कई गुना फल मिलता है।
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वैज्ञानिक ²ष्टि से भी तिल के सेवन का महत्व:
- सर्दी में तापमान कम होने से व्यक्ति जल्दी बीमार पड़ जाता है। गुड़ और तिल से बने पकवान का सेवन करने से शरीर में गरमाई रखती है। जिससे बीमारियां पास नहीं आती है।
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भगवान सूर्य नारायण की करनी चाहिए पूजा:
मकर संक्रांति को भगवान सूर्यनारायण की पूजा करनी चाहिए। जिसकी कुंडली में सूर्य नीच राशि का हो या सूर्य शनि की युति हो उनको भी इस दिन विशेष रूप से पूजा अर्चना करके उसके दुष्प्रभाव को दूर किया जा सकता है।