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बरसात ने बर्बाद की फसल, बीमा कराते तो मिलता मुआवजा

जागरण संवाददाता हापुड़ मौसम का बदलता मिजाज फसलों के लिए आफत बना है। 36 घंटे से हो र

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 07:56 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 07:56 PM (IST)
बरसात ने बर्बाद की फसल, बीमा कराते तो मिलता मुआवजा

जागरण संवाददाता, हापुड़ :

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मौसम का बदलता मिजाज फसलों के लिए आफत बना है। 36 घंटे से हो रही बरसात से खेत पानी से लबालब हो गए और फसल डूबे रहने से बर्बाद हो गई। बेमौसम आई इस मुसीबत से किसानों के चेहरे से रंगत उड़ गई है। इसकी वजह उसकी लापरवाही भी है। हर साल ऐसा होता है, लेकिन बेपरवाह किसान फसल का बीमा नहीं कराते। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में 1563 किसानों ने ही खरीफ की फसल का बीमा कराया है। उनको नुकसान की भरपाई मिलेगी, शेष किसानों को नुकसान झेलना पड़ेगा। केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इसके तहत फसल में नुकसान होता है या फिर प्राकृतिक आपदा से बर्बाद हो जाती है तो सरकार बीमित फसल का भुगतान करती है। हर फसल के लिए अलग-अलग बीमित धनराशि है। गन्ने की फसल का बीमा नहीं होता है। उसे अधिसूचित फसलों की श्रेणी से बाहर रखा गया है। बता दें कि जिले में 1.26 लाख किसान पंजीकृत हैं। करीब 40 हजार किसानों ने 24 हजार हेक्टेयर जमीन में धान की फसल बोई है। इनमें से महज 1563 किसानों द्वारा ही बीमा कराया गया है जबकि शेष किसानों का फसल बीमा नहीं है। अधिकारियों की मानें तो धान की जो फसल खेत में कटी पड़ी है उसमें 50 से 55 फीसद, जो खेत में गिर गई है उसमें 20 से 25 फीसद और जो फसल खेत में खड़ी है और गिरी नहीं है, उसमें कोई नुकसान नहीं है। सब्जियों की फसल हो गई बर्बाद

बरसात से खेतों में पानी ठहर गया है। कई दिन तक पानी सूखने की उम्मीद नहीं है। इस वजह से गोभी, गाजर, मूली, आलू, पालक व मेथी की फसल में भारी नुकसान हुआ है। हालांकि, किसान पंपसेट लगाकर पानी निकाल रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे पड़ रही बरसात उनको कामयाब नहीं होने दे रही है। क्या कहते हैं किसान

बारिश से हुए नुकसान के बाद कुछ किसानों का कहना है कि उन्हें फसल के बीमा होने की जानकारी नहीं थी। अगर होती तो वे भी बीमा करा लेते। किसान राम सिंह ने बताया कि उसने इस बार 12 बीघा जमीन में धान की फसल थी। फसल पिछेती होने के चलते अभी कट नहीं पाई थी। तेज हवाओं के साथ चली बारिश से खेत में फसल गिर गई और पानी में डूब गई। फसल को नुकसान होने पर अब पछतावा हो रहा है कि अगर फसल का बीमा कराया होता तो आज मुआवजे के लिए दावा करता। उपकृषि निदेशक डा. वीबी द्विवेदी ने बताया कि पिछले वर्ष 2020-21 में रबी की फसलों का 2115 किसानों ने बीमा कराया था, जिसमें से 561 किसानों को क्राप कटिग के आधार पर 18,53,825.22 रुपये का मुआवजा मिला था। इसी वर्ष 1210 किसानों ने खरीफ की फसल का बीमा कराया था। जबकि मौजूदा वर्ष में 2020 किसानों ने रबी की फसल का बीमा कराया था, जिसमें से 280 किसानों को क्राप कटिग के आधार पर 3,08,100 रुपये का मुआवजा मिला था। जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में 1563 किसानों ने खरीफ की फसल का बीमा कराया है। अधिसूचित फसलें--बीमित राशि प्रति हेक्टयर (रु.) गेहूं--65 हजार रुपये धान--53 हजार रुपये बाजरा--26 हजार रुपये उर्द--20 हजार रुपये मक्का--32 हजार रुपये

क्या कहते हैं अधिकारी

जिले के किसानों को फसल का बीमा कराने के लिए प्रेरित किया जाता है, किसान बीमा कराने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। गन्ने की फसल को बीमा से बाहर रखा गया है। धान की बीमित फसल का किसानों को लाभ मिलेगा।

-डा. वीबी द्विवेदी, उपकृषि निदेशक


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