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गण के तंत्र : आरटीआइ के प्रयोग से भ्रष्टाचार पर कर रहे प्रहार

यूं तो भारतीय संविधान ने अनेकों अधिकार नागरिकों को प्रदान किए हैं। उनके साथ ही क‌र्त्तव्य भी बताए हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अधिकारों को ही अपना क‌र्त्तव्य भी बना लिया है। इतना ही नहीं वे लोग अधिकारों का सहारा लेकर क‌र्त्तव्य करते हुए बेहतरीन तरीके से समाज सेवा भी करते हैं। ऐसी ही एक शख्यियत धौलाना तहसील के गांव तिसौली खेड़ा निवासी रामभरोसे तोमर हैं। करीब पैंसठ वर्ष की आयु में श्री तोमर सूचना अधिकार अधिनियम को तलवार बनाकर निरंतर भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार कर रहे हैं। जिससे अब उनकी पहचान क्षेत्र में आरटीआई कार्यकतर की हो गई है। ऐसे ही लोग सही मायनों में तंत्र के गण कहलाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 08:46 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 08:46 PM (IST)
गण के तंत्र : आरटीआइ के प्रयोग से भ्रष्टाचार पर कर रहे प्रहार
गण के तंत्र : आरटीआइ के प्रयोग से भ्रष्टाचार पर कर रहे प्रहार

ओमपाल राणा, धौलाना:

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भारतीय संविधान में नागरिकों को अधिकार दिए जाने के साथ उनके कर्तव्य भी बताए गए हैं। लोगों को सरकार से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार भी दिया गया है। सूचना के अधिकार का अधिनियम देश के नागरिकों को सरकारी विभागों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। इस अधिकार का प्रयोग कर कुछ लोग समाज सेवा कर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। धौलाना तहसील के गांव तिसौली खेड़ा निवासी रामभरोसे तोमर ऐसे ही व्यक्ति हैं। लगभग 65 वर्ष की आयु में वह सूचना अधिकार अधिनियम को हथियार बनाकर भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार कर रहे हैं। अब उनकी पहचान क्षेत्र में आरटीआइ कार्यकर्ता के रूप में हो गई है। ऐसे ही लोग सही मायनों में तंत्र के गण कहलाते हैं।

रामभरोसे तोमर ने बीते कुछ वर्षों में इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए अनेकों ऐसे कार्य कर किए जिनसे आम लोगों का लाभ हुआ। उनकी पहली बड़ी उपलब्धि डाक विभाग द्वारा पंजीकृत डाक भेजने के नाम पर अधिक वसूली रोकना रहा। बीते दिनों उनके प्रयास से ही हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण ने अपनी भूमि पर किए गए अवैध निर्माणों का ध्वस्त किया। डासना टोल प्लाजा पर यूजर चार्ज की जगह की जा रही अधिक वसूली पर रोक लगाई गई। उन्होंने कई विद्यालयों और विभागों में की गई फर्जी भर्तियों का पर्दाफाश किया। उनके प्रयास से लगभग चालीस लाख रुपये की स्टांप चोरी रोकी जा सकी। उन्हें जहां कहीं भी भ्रष्टाचार की दुर्गंध आती है, वह आरटीआइ के माध्यम से पर्दाफाश करते हैं। हालांकि इस कार्य को करने के दौरान इन्हें अनेकों बार धमकियां मिलीं। उन पर हमला भी किया गया। लेकिन वह आज भी अपने प्रयासों पर अडिग हैं। इसी समाज सेवा और निस्वार्थ कार्य के कारण अधिकारियों में उनकी एक अलग पहचान है। अनेकों लोग उनसे आरटीआइ संबंधी समस्याओं का निदान कराने आते रहते हैं। वह कहते हैं कि सूचना अधिकार अधिनियम आम आदमी के लिए वरदान है। इसके सहारे मात्र दस रुपये में बड़ी से बड़ी सूचना ली जा सकती है। दूसरा इस अधिकार के आने के बाद भ्रष्टाचार करने वाला प्रत्येक व्यक्ति डरता है। वह इस अधिकार का प्रयोग कर लोगों को न्याय दिलाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के कार्य में दिन रात जुटे रहते हैं।


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