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तंबुओं की महानगरी में बढ़ने लगी रौनक

11 माह से अधिक समय तक सुनसान रहने वाले गंगा के दोनों किनारों से जुड़ा जंगल कार्तिक पूर्णिमा मेले के मद्देनजर टैंट-तंबुओं की महानगरी में तब्दील हो उठा है। जहां भक्ती में मस्ती से अनूठे संगम में वेस्टर्न यूपी से लेकर दिल्ली तक की भीड़ जुटी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 06:22 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 06:22 PM (IST)
तंबुओं की महानगरी में बढ़ने लगी रौनक
तंबुओं की महानगरी में बढ़ने लगी रौनक

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर

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वर्ष भर सुनसान रहने वाले गंगा के किनारे पर आयोजित कार्तिक पूर्णिमा मेले में तंबुओं की महानगरी स्थापित हो चुकी है। अस्थाई रूप से रहने आए श्रद्धालुओं के कारण जंगल में मंगल हो गया है। इस महानगरी में आस्था और मस्ती का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है।

खादर क्षेत्र और तिगरी धाम स्थित गंगा नदी के दोनों किनारे वर्ष भर सुनसान रहते हैं। कार्तिक मास में आयोजित किए जाने वाले मेले के कारण लगभग 15 दिन तक एक अस्थाई महानगरी स्थापित हो जाती है। जिला पंचायत इस महानगरी की स्थापना के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां करती है। खादर मेला स्थल में निवास कर रहे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन ने अस्थाई अस्पताल, बिजली और पानी की सुविधा, एंबुलेंस और मच्छरों का प्रकोप रोकने को फॉ¨गग की व्यवस्था की है। सुरक्षा के लिहाज से प्रदेश के विभिन्न जनपदों से तीन हजार से भी अधिक पुलिसकर्मी मेला क्षेत्र में तैनात किए गए हैं। मेला स्थल समेत संपर्क रास्तों पर 23 थाने भी बनाए गए हैं। आतंकी साए की आशंका के चलते बम निरोधक दस्ते ने मोर्चा संभाला हुआ है। वॉच टावरों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों की मदद से मेला परिसर पर निगरानी की जा रही है।

मेला परिसर में तीन पार्किंग भी बनाई गई हैं। आग लगने की आशंका के ²ष्टिकोण से दमकल वाहन और दमकमलकर्मी तैनात किए गए है। शराब की सप्लाई रोकने के लिए आबकारी टीम चे¨कग में जुटी हैं। मोबाइल नेटवर्किंग फेल होने की समस्या से निपटने को मेला स्थल पर निजी कंपनियों ने अस्थाई टावर लगाए हैं। जेनरेटर के माध्यम से मेला स्थल समेत संपर्क मार्गों पर पथप्रकाश की व्यवस्था की गई है। सदर बाजार में झूला, सर्कस और मौत के कुएं जैसे मनोरंजन के साधन नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं में निराशा है। वह नाव में बैठकर तिगरी में जाकर झूला झूल रहे हैं। मीना बाजार में बच्चों के खिलौने और महिलाओं के सौंदर्य प्रसाधन सामग्री से दुकानें सज गई हैं।

मेला परिसर में साढ़े चार सौ से अधिक हैंडपंप और सैकड़ों शौचालयों स्थापित किए गए हैं। श्रद्धालुओं को डूबने से बचाने को गोताखोरों समेत चार दर्जन से अधिक नाव तथा रिजर्व पुलिस तैनात है। खादर मेले में मेरठ, दिल्ली, बुलंदशहर, हापुड़ समेत कुल 21 सेक्टर बनाए गए हैं। एनडीआरएफ की टीम को दिया गंगा में प्रशिक्षण

मेले में एनडीआरएफ की दो टीम तैनात हैं। टीम के ग्रुप कमांडर और असिस्टेंट कमांडेंट ने सोमवार दोपहर मेरठ सेक्टर, हापुड़, सेक्टर, दिल्ली सेक्टर, पशु मेला तक गंगा की तेज जल धारा में जवानों को डूबने वाले श्रद्धालुओं के बचाने का प्रशिक्षण दिया। एनडीआरएफ टीम के अधिकारियों ने बताया कि टीम के पास मेले में श्रद्धालुओं के डूबने से बचाने के लिए आधुनिक रबड़ बोट, लाइव जैकेट आदि संसाधन उपलब्ध हैं, जो पानी में 72 घंटे तक किसी को भी डूबने से बचा सकते हैं।


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