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कार्तिक पूर्णिमा: खाकी के पहरे पर भारी पड़ रही श्रद्धालुओं की आस्था, गंगा में लाखों ने लगाई डुबकी

इस बार कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर कार्तिक पूर्णिमा मेला स्थगित कर दिया गया था। श्रद्धालुओं को रोकने के लिए ब्रजघाट गढ़मुक्तेश्वर कच्चे घाट पर जाने वाले मार्ग पर पुलिस तैनात की गई। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के बाद घाट व मंदिरों में पूजा अर्चना की।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 10:47 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 10:47 AM (IST)
कार्तिक पूर्णिमा: खाकी के पहरे पर भारी पड़ रही श्रद्धालुओं की आस्था, गंगा में लाखों ने लगाई डुबकी।

गढ़मुक्तेश्वर, राम मोहन शर्मा। कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर गंगा स्नान पर लगाई रोक पर श्रद्धालुओं की आस्था इस बार भी भारी पड़ी। गढ़मुक्तेश्वर और ब्रजघाट में लाखों श्रद्धालुओं ने कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। हर-हर गंगे के जयकारों से गंगा किनारे बने घाट गुंजायमान हो उठे। पुलिस-प्रशासन के लोग कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने लिए शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशाें का पालन कराने में लगे रहे।

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शनिवार और रविवार को दीपदान करने के बाद सोमवार सुबह चार बजे से ही गंगा तट पर श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के बाद घाट व मंदिरों में पूजा अर्चना की। हालांकि श्रद्धालुओं को स्नान करने से रोकने के लिए घाटों पर पुलिस तैनात रही। लेकिन, आस्था के सामने पुलिस भी श्रद्धालुओं को नहीं रोक पाई।

बता दें कि इस बार कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर कार्तिक पूर्णिमा मेला स्थगित कर दिया गया था। श्रद्धालुओं को रोकने के लिए ब्रजघाट, गढ़मुक्तेश्वर कच्चे घाट पर जाने वाले मार्ग पर पुलिस तैनात की गई। लेकिन, शनिवार और रविवार को दोनों ही स्थानों पर अव्यवस्था के बीच दीपदान किया गया। उसके बाद रविवार रात 12 बजे के बाद से ही निकटवर्ती और पड़ोसी जनपदों के श्रद्धालु गंगा किनारे पहुंचने शुरू हो गए। सोमवार को तड़के चार बजे तक गंगा तट श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। जिसके बाद सुबह नौ बजे तक डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। उसके बाद सूर्य को अ‌र्घ्य देकर सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि कार्तिक माह को श्रीहरि विष्णु और भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। हिंदू धर्म के सभी बड़े त्योहार इस महीने में आते हैं। इसे परम पावन और पुण्यदायी माह माना जाता है। इसी माह का अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कार्तिक पूर्णिमा के खास दिन पर जप, तप और दान का विशेष महत्व बताया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा की विधि

पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदियों और कुंडों आदि में स्नान करना चाहिए। अगर संभव न हो तो घर पर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। फिर भगवान लक्ष्मी नारायण की आराधना करें और उनके समक्ष घी या सरसों के तेल का दीपक जलाकर विधिपूर्वक पूजा करें। साथ ही आप घर पर हवन कर सकते हैं। इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा कहनी या सुननी चाहिए। अब उन्हें खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटें। शाम के समय लक्ष्मी नारायण की आरती करने के बाद तुलसी की आरती करें। साथ ही दीपदान भी करें। घर की चौखट पर दीपक जलाएं। कोशिश करें कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी ब्राह्मण, गरीब या जरूरतमंद को भोजन करवाएं।

कार्तिक पूर्णिमा के मंत्र

ओम सों सोमाय नम:। ओम विष्णवे नमः। ओम कार्तिकेय नमः। ओम वृंदाय नमः। ओम केशवाय नमः।


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