Move to Jagran APP

कीड़ों पर बेअसर और मनुष्यों के लिए घातक हो रहे कीटनाशक

सीजन की शुरुआत में आ रही गोभी स्वादिष्ट लग सकती है, लेकिन क्या आपको पता है कि यह स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक है? खुद किसान बताते हैं कि गोभी के फूल में कीड़ा न लगे इसके लिए हर चौथे-पांचवें दिन कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ता है। बैंगन में भी हर तीसरे-चौथे दिन छिड़काव होता है। किसानों का कहना है कि कीड़ा मरता ही नहीं इसलिए उन्हें इतनी दवा डालनी पड़ती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 06:29 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 06:29 PM (IST)
कीड़ों पर बेअसर और मनुष्यों के लिए घातक हो रहे कीटनाशक
कीड़ों पर बेअसर और मनुष्यों के लिए घातक हो रहे कीटनाशक

संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : बाजार में आ रही गोभी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो चुकी है ? किसान गोभी की फसल में कीड़ा लगने से रोकने के लिए चौथे-पांचवें दिन और बैंगन में भी तीसरे-चौथे दिन कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं। कीटनाशकों का इतना अधिक छिड़काव करने के बावजूद कीड़ा नहीं मरता है।

loksabha election banner

विशेषज्ञों का कहना है कि कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग के कारण कीड़ों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है। इस कारण कीड़ों पर तो कीटनाशक धीरे-धीरे बेअसर हो रहा है और इसे खाने वाले मनुष्यों में कई गंभीर जानलेवा बीमारियों का कारण बन रहा है। खादर के गांव नयाबांस निवासी ऋषिपाल चार बीघा भूमि में सब्जियां ही उगाते हैं। वह बताते हैं कि हर तीसरे-चौथे दिन छिड़काव किया जाता है। इसके बावजूद भी कीड़ा नहीं मरता तो दूसरी दवा लाते हैं। कीटनाशकों का कीड़ों पर प्रभाव लगातार कम होता जा रहा है। कीटनाशक विक्रेता इरफान बताते हैं कि वह विगत दस वर्षों से उवर्रक, बीज और कीटनाशक बेच रहे हैं। आम में लगने वाले कीड़ों को मारने के लिए साइपर मीथेन दवा लंबे समय से प्रयोग की जा रही है। पहले 200 लीटर पानी में 100 ग्राम दवा का घोल बना कर छिड़काव करने से कीड़े मर जाते थे। अब दो सौ लीटर पानी में 125 ग्राम से 250 ग्राम तक दवा डाल कर बनाए गए घोल का छिड़काव करने के बाद भी कीड़ा नहीं मरता। अब आम उत्पादक एक नई दवा लि¨मडा मीथेन का छिड़काव कर रहे हैं। दवा का अधिक छिड़काव होने के कारण धीरे-धीरे कीड़े भी दवा को सहन करने के आदी होते जा रहे हैं।

दवा विक्रेताओं का कहना है कि बाजार में नकली दवाइयां भी बहुत मिल रही हैं। कई बड़ी कंपनियां अपने उत्पाद की बारीकी से जांच कराने के बाद ही बाजार में निकालती हैं। कई स्थानीय कंपनियों के एजेंट किसानों के पास जाते हैं और फ्री सैंपल और सस्ती दवाएं देकर उन्हें लुभाते हैं। इस तरह वे किसानों को जाल में फांस लेते हैं। अधिकारियों से भी मिलीभगत होने के कारण बिना जांच पड़ताल किए उनकी दवा बिकती रहती है। इस लिए अब किसानों को बायोपेस्टीसाइट्स के प्रयोग की सलाह दी जाती हैं। लोगों को भी सलाह है कि वे मौसमी सब्जियों का इस्तेमाल करें। बेमौसम की सब्जियों में कीड़े का प्रकोप अधिक होता है, अत: उसे रोकने के लिए कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.