Hapur: क्रेडिट कार्ड की जानकारी हासिल कर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश, 6 शातिर सदस्य गिरफ्तार
क्रेडिट कार्ड की जानकारी प्राप्त कर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का सर्विलांस टीम ने पर्दाफाश किया है। पंजाबी बाग क्षेत्र से गिरोह के छह शातिर सदस्यों को गिरफ्तार करते हुए उनसे 7600 रुपये छह मोबाइल एक कार और डेबिट कार्ड बरामद कर लिया।
हापुड़, जागरण संवाददाता। सर्विलांस की टीम ने भोले-भाले लोगों को विभिन्न प्रलोभन देकर उनके क्रेडिट कार्ड की जानकारी प्राप्त कर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। टीम ने बुधवार को दिल्ली के पंजाबी बाग क्षेत्र से गिरोह के छह शातिर सदस्यों को गिरफ्तार करते हुए उनसे 7600 रुपये, छह मोबाइल, एक कार और डेबिट कार्ड बरामद कर लिया।
सौ से अधिक लोगों से कर चुके हैं ठगी
आरोपित दिल्ली-एनसीआर समेत विभिन्न राज्यों के जिलों में रहने वाले सौ से अधिक लोगों के साथ ठगी कर चुके हैं। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। एएसपी मुकेश चंद्र मिश्र ने बताया कि 16 फरवरी को थाना बाबूगढ़ क्षेत्र के गांव छपकौली के रहने वाले गंगावीर के मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से काल आया था।कॉल पर बात कर रहे आरोपित ने स्वयं को बैंक अधिकारी बताकर पीड़ित को अपनी बातों में उलझा लिया।
गिफ्ट वाउचर एक्टीवेट कराने के बहाने झांसे में लेते
इसके बाद आरोपित ने उसके क्रेडिट कार्ड पर गिफ्ट वाउचर एक्टीवेट करने की बात कर पीड़ित को झांसे में ले लिया। आरोपित ने क्रेडिट कार्ड की गोपनीय जानकारी प्राप्त कर पीड़ित के बैंक खाते से दस हजार रुपये निकाल लिए थे। मामले में रिपोर्ट दर्ज कर जांच साइबर सेल की टीम को सौंपी गई थी। फोन लोकेशन के जरिए टीम ने शनिवार को घटना में शामिल अंतरराज्यीय गिरोह के छह शातिर सदस्यों को दिल्ली के पंजाबी बाग के ईमाया माल से गिरफ्तार कर लिया है।
गिरफ्तार आरोपित दिल्ली के थाना साउथ रोहिणी क्षेत्र के रोहिणी सेक्टर-3 के साहिल उर्फ दर्पण, थाना विजय विहार के बुद्ध विहार फेस-1 के प्रशांत सिंगला, सी-51 फेस-1 के दीपक, शिवम, वी1/49 फेस-1 के विवेक और वी 1/36 के फेस-1 के दीपांशु है। गिरफ्तार आरोपितों ने बताया कि वह बैंक अधिकारी बनकर लोगों को झांसा देते थे। इसके बाद क्रेडिट कार्ड की गोपनीय जानकारी प्राप्त कर लेते थे।
ऐसे देते थे ठगी की वारदात को अंजाम
झांसे में लेने के लिए गिफ्ट वाउचर और बोनस देने की बात करते थे। इसके बाद लोगों की जन्म तिथि व ओटीपी नंबर भी पता कर लेते थे। फ्लिप कार्ट व अमेजन पर फर्जी अकाउंट तैयार कर लोगों के क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर वाउचर खरीदते थे। ठगी के रुपयों से सामान आर्डर करके अलग-अलग पतों पर मंगवा लेते थे। इस सामान को बेचकर जो धनराशि मिलती थी उसे गिरोह के सदस्य आपस में बांट लेते थे। पुलिस से बचने के लिए वह समय-समय पर अपनी लोकेशन बदलकर लोगों को काल कर जाल में फंसाते थे।