सरसों की फसल बर्बाद कर सकता है कोहरा
जागरण संवाददाता, हापुड़ दिसंबर के दूसरे सप्ताह में बादल छाए रहने से सूर्य देव के दर्शन ब
जागरण संवाददाता, हापुड़
दिसंबर के दूसरे सप्ताह में बादल छाए रहने से सूर्य देव के दर्शन बहुत कम हो पा रहे हैं। इससे शाम के समय से ही घना कोहरा पड़ना शुरू हो जाता है। कृषि वैज्ञानिक इस तरह के मौसम को सरसों के लिए खतरा मान रहे हैं। उनका कहना है कि दिन भर धूप नहीं निकली तो सरसों में चेंपा रोग लगा सकता है। जिससे जनपद के सरसों उत्पादक किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान होने की संभावना है।
काफी किसानों ने इस बार आलू की जगह सरसों की खेती करने का निर्णय लिया था। इससे सरसों के बुवाई क्षेत्रफल में भी करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गई थी। लेकिन अब आसमान में छाए बादलों ने सरसों के किसानों को ¨चतित कर दिया है। दिसंबर के दूसरे सप्ताह में घना कोहरा पड़ने लगा है जो सरसों के लिए खतरा बना हुआ है। किसानों का कहना है कि आमतौर से दिसंबर के अंतिम सप्ताह अथावा जनवरी के पहले सप्ताह में ही लगभग 10 से 15 दिनों के लिए कोहरा पड़ता है। इस बार अभी से कोहरा पड़ने लगा है। इससे सरसों में चेंपा रोग लगने का खतरा बढ़ गया है। इससे सरसों पर फली नहीं बनेगी। इससे सरसों में काफी नुकसान हो जाएगा।
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चेंपा रोग और फसल पर उसके प्रभाव:
यह कीड़ा हल्के हरे-पीले रंग का 1.0 से 1.5 मिली लंबा होता है। यह प्रौढ़ एवं शिशु पत्तियों की निचली सतह और फूलों की टहनियों पर समूह में पाए जाते हैं। यह कीड़े प्रौढ़ व शिशु पौधों के विभिन्न भागों से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं। लगातार नुकसान करने पर पौधों के विभिन्न भाग चिपचिपे हो जाते हैं, जिन पर काला कवक लग जाता है। परिणामस्वरूप पौधों की भोजन बनाने की ताकत कम हो जाती है, जिससे पैदावार में कमी हो जाती है। कीट ग्रस्त पौधे की वृद्धि रुक जाती है, जिसके कारण कभी-कभी तो फलियां भी नहीं लगती और यदि लगती हैं तो उनमें दाने छोटे रह जाते हैं।
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कैसे करें बचाव :
फसल पर जहां इस कीट के समूह दिखाई दें, उन टहनियों के प्रभावित हिस्सों को कीट सहित तोड़कर नष्ट कर दें। अगर 20 प्रतिशत फसल इस रोग से प्रभावित हो जाए तो आक्सीडिमेटान मिथाईल (मैटासिस्टाक्स) 25 ई.सी. या डाइमैथोएट (रोगोर) 30 ई.सी. की 250, 350 व 400 मि.ली. मात्रा को क्रमश: 250, 350 व 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ कीट ग्रस्त फसलों पर पहला, दूसरा तथा तीसरा छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर करें। ---सतीश मलिक, जिला कृषि रक्षा अधिकारी
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