ब्रजघाट पहुंचा विदेशी परिदों का पहला जत्था
गंगा के पानी में घट रहे प्रदूषण का असर पक्षियों पर भी दिखने लगा है। जल की गुणवत्ता सुधरने से गंगा में साइबेरियन पक्षियों का आना जारी हो गया है। जबकि कुछ साल पहले गंगा में प्रदूषण बढ़ने के चलते विदेशी पक्षियों ने गंगा से मुंह मोड़ लिया था। प्रदूषण के कारण डॉल्फिन का जीवन भी खतरे में पड़ गया था।
राम मोहन शर्मा, ब्रजघाट:
गंगा के पानी में घट रहे प्रदूषण का असर पक्षियों पर भी दिखने लगा है। जल की गुणवत्ता सुधरने से गंगा में साइबेरियन पक्षियों का आना दोबारा शुरू हो गया है। कुछ वर्ष पहले गंगा में प्रदूषण बढ़ने के कारण विदेशी पक्षियों की संख्या में जबरदस्त कमी आई थी। प्रदूषण के कारण डॉल्फिन का जीवन भी खतरे में पड़ गया था।
यूं तो दिसंबर माह के आरंभ में ही ये विदेशी मेहमान डेरा डालना आरंभ कर देते हैं, लेकिन दिसंबर के अंत तक गंगा में साइबेरियन पक्षियों की अठखेलियां देखने लायक होती हैं। ये पक्षी फरवरी माह तक यहीं रहते हैं। शरद ऋतु में साइबेरिया, रूस आदि देशों का तापमान शून्य से काफी नीचे पहुंचने के कारण वहां के नदी-नालों में बर्फ जम जाती है। इस कारण इन पक्षियों का जीवन खतरे में पड़ जाता है। ये पक्षी गंगा में अपना प्रवास करते हैं।
-ब्रजघाट को सुरक्षित स्थान मानते हैं विदेशी पक्षी
जानकारों का कहना है कि मेहमान पक्षी बेहद चतुर प्रवृत्ति वाले होते हैं, जो शिकारियों के हाथों मारे जाने से बचने के लिए ब्रजघाट समेत राजस्थान के भरतपुर की बर्ड सेंचुरी को सर्वाधिक सुरक्षित स्थान मानने लगे हैं। पर्यावरणविद् प्रोफेसर अब्बास अली ने बताया कि साइबेरियन प्रजाति के कई पक्षी सर्दी के मौसम में भारत समेत आसपास के देशों में आकर अंडे भी देती हैं। जिनसे पैदा होने वाले चूजों को गर्मी के मौसम में साथ लेकर अपने वतन को उड़ जाते हैं।