महंगी सब्जी ने बिगड़ा रसोई का बजट
लॉकडाउन में घर में खाली बैठने को मजबूर हुई जनता को अब महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। सब्जी के दाम दोगुने हो गए हैं। टमाटर के दाम तो पांच गुना तक बढ़ गए हैं। सब्जी के दाम बढ़ने से जनता का रसोई का बजट पहले से ज्यादा बिगड़ गया है।
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर
लॉकडाउन में घर में खाली बैठने को मजबूर हुई जनता को अब महंगाई की मार भी झेलनी पड़ रही है। सब्जी के दाम दोगुने हो गए हैं। टमाटर के दाम तो पांच गुना तक बढ़ गए हैं। सब्जी के दाम बढ़ने से जनता का रसोई का बजट पहले से ज्यादा बिगड़ गया है।
लॉकडाउन के समय सब्जियों के बाहर जाने पर रोक लग गई थी। खासतौर से दिल्ली को काफी सब्जी जाती है। वैसे तो जरूरी सामान के वाहनों के आवागमन पर कोई रोक नहीं थी, लेकिन इसके बाद भी जिले के किसान अपनी फसल दिल्ली नहीं ले जा पाए थे। इस वजह से खासतौर से खीरे के किसानों को बहुत कम दाम मिले थे। लॉकडाउन में किसानों को सब्जी के रेट नहीं मिले और जनता को सस्ती सब्जी खाने को मिली। जिनके काम लॉकडाउन से प्रभावित थे. उन्हें भी यह तो राहत थी ही सब्जी के दाम रसोई का बजट नहीं बिगाड़ रहे थे। लेकिन लॉकडाउन खुलने पर अब सब्जी के दाम भी चढ़ने लगे हैं। साथ ही इस समय बरसात चल रही है। बरसात में भी सब्जी के उत्पादन पर असर पड़ता है। दोनों वजह से सब्जी के दाम चढ़े हैं और पिछले सालों की तरह फिर से रसोई का बजट बढ़ने लगा है।
टमाटर तो रोज महंगाई की सीढ़ी चढ़ता जा रहा है। लॉकडाउन में दस रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर अब 60 रुपये प्रति किलो तक जा पहुंचा है। बाकी सब्जियों का भी यही हाल है। किसान विजय सिंह, सुखवीर सिंह, ओमकार सिंह का कहना है कि उन्होंने खीरा, लौकी, भिडी लगाई थी। लॉकडाउन में सब्जी की लागत तक वसूल नहीं हुई। अब उन्हें भी महंगी सब्जी लेनी पड़ रही है।
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सब्जी के वर्तमान रेट
खीरा 12-25 रु प्रति किलो
आलू 10- 25 रु प्रति किलो
शिमला मिर्च 20-40 रु प्रति किलो
भिडी 15-30 रु प्रति किलो
लौकी 5- 15 रु प्रति किलो
बैंगन 15- 30 रु प्रति किलो
टमाटर 10- 60 रु प्रति किलो
प्याज 10-25 रु प्रति किलो
अरबी 15- 30 रु प्रति किलो