Move to Jagran APP

दम तोड़ता ड्रेनेज सिस्टम, बारिश में लबालब हो जाती हैं सड़कें

संवाद सहयोगी पिलखुवा/ गढ़मुक्तेश्वर सरकारी खजाने में टैक्स के रूप में बड़ा राजस्व देने वाले

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 08:21 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 08:21 PM (IST)
दम तोड़ता ड्रेनेज सिस्टम, बारिश में लबालब हो जाती हैं सड़कें
दम तोड़ता ड्रेनेज सिस्टम, बारिश में लबालब हो जाती हैं सड़कें

संवाद सहयोगी, पिलखुवा/ गढ़मुक्तेश्वर :

loksabha election banner

सरकारी खजाने में टैक्स के रूप में बड़ा राजस्व देने वाले जिले के दो नगर पिलखुवा और गढ़मुक्तेश्वर में भी ड्रेनेज सिस्टम बदहाल है। दो बूंद बारिश की पड़ते ही दोनों शहरों में सड़क और नालों का फर्क खत्म हो जाता है। दोनों शहरों में कहीं नाले क्षतिग्रस्त हैं तो कहीं शहर के नालों से हाइवे के नाले ऊंचे कर दिए गए हैं। इस कारण शहर की जलनिकासी बाधित होती है। यह देखकर निकाय अधिकारी देखकर अनजान बने हुए हैं।

पिलखुवा नगर हैंडलूम नगरी के नाम से प्रसिद्ध है। शहर में दो हजार से अधिक कारखाने हैं। लगभग डेढ़ लाख की आबादी है। जलनिकासी को बेहतर बनाने के लिए पालिका के तीन नाले शहर में हैं। पहले नालों की सफाई न होने के कारण शहर जलभराव की समस्या से जूझता था और अब राष्ट्रीय राजमार्ग पर नवनिर्मित नाला ड्रेनेज सिस्टम को बदहाल कर रहा है। दरअसल, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के तृतीय भाग के अंतर्गत पिलखुवा में एलिवेटेड रोड का निर्माण किया गया था। इस दौरान एलिवेटेड रोड के नीचे की सड़क को चौड़ा किया गया। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा नामित संस्था द्वारा हाईवे पर नाला निर्माण कराया गया। शहर के नालों का पानी हाईवे स्थित नाले में आता है। जबकि, निर्माणदायी संस्था द्वारा हाईवे का नाला शहर के नालों से ऊंचा बना दिया गया है। इसके चलते शहर के नालों की जलनिकासी बाधित है। चंडी रोड, रेलवे रोड, सद्दीकपुरा मोहल्ले में हल्की सी बारिश में ही जलभराव की समस्या बन जाती है। नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को समस्या से अवगत कराते हुए पत्र लिखा जा चुका है। हालांकि, अभी तक इस तरफ निर्माणदायी संस्था द्वारा ध्यान नहीं दिया गया है।

गढ़मुक्तेश्वर संवाद सहयोगी के अनुसार, महाभारत कालीन गढ़मुक्तेश्वर तीर्थनगरी की पुरानी आबादी का अधिकांश हिस्सा रेतीले भूखंड की ऊंचाई पर बसा हुआ है। जिससे यहां जलभराव की कोई भी समस्या नहीं बनती है। लेकिन, नई आबादी वाले अधिकांश स्थानों पर बारिश तो दूर नालियों का गंदा पानी हर समय सड़क पर भरा रहता है। जानकारी होने के बाद भी पालिका द्वारा ड्रेनेज सिस्टम को लेकर आज तक कोई ठोस योजना तैयार नहीं की गई है। नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी संजीवन राम का कहना है कि पालिका क्षेत्र में सड़कों के साथ ही नालियों की भी नियमित तौर पर सफाई कराई जाती है। नई आबादी में सीवर लाइन बिछाने के दौरान नालियां क्षतिग्रस्त हो गई थीं। जिसकी रिपोर्ट जलनिगम को भेजी जा चुकी है। उधर, दोनों ही इलाकों में नालों की सफाई न होना भी बड़ी मुसीबत बना रहता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.