गांव अट्टा धनावली में रेलगाड़ी में बैठ कर शिक्षा पाते हैं बच्चे
हर दिन स्कूल आना और आकर रेल में सफर का अहसास करना हो तो चले आएं ¨सभावली के गांव अट्टा धनावली में। यहां के बच्चे रेल का बखूबी आनंद ले रहे हैं। वैसे यह कोई ट्रेन नहीं बल्कि सरकारी विद्यालय है। इस पर रंग-रोगन करके इसे रेलगाड़ी की तरह बनाया गया है, जो बच्चों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रही है। कुछ ऐसा ही अनुकरणीय कार्य किया है यहां की ग्राम प्रधान पति व जिला पंचायत सदस्य केके हुण ने। उन्होंने बताया कि स्कूल के शिक्षकों के सहयोग के चलते उन्होंने स्कूल का सौंद्रर्यकरण कराया है। स्कूल के कमरों को रेलगाड़ी का लुक दिया है। इसे देख बच्चे स्कूल की ओर आकर्षित होने लगे हैं। अब गांव के नौनिहाल ये कहते नजर आ रहे हैं कि हम तो रेलगाड़ी वाली स्कूल में पढ़ाई करेंगे।
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : ¨सभावली विकास खंड के गांव अट्टा धनावली में बच्चे प्रति दिन स्कूल आते हैं और रेलगाड़ी में बैठ कर शिक्षा प्राप्त करते हैं। रेलगाड़ी में बैठने का आनंद लेने के लिए बच्चे स्कूल जाने की जिद करते हैं। इस गांव के सरकारी विद्यालय को रंग-रोगन कर उसे रेलगाड़ी का आकार दिया गया है, जो बच्चों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रही है। ग्राम प्रधान के पति और जिला पंचायत सदस्य के.के. हूण के प्रयासों के कारण सरकारी विद्यालय को आर्कषक बनाया गया है। उन्होंने बताया कि शिक्षकों के सहयोग से उन्होंने स्कूल का सौंदर्यकरण कराया। स्कूल के कमरों को रेलगाड़ी का स्वरूप दिया गया है। इसे देख बच्चे स्कूल की ओर आकर्षित होने लगे हैं। अब गांव के नौनिहाल कहते हैं कि वह तो रेलगाड़ी वाली स्कूल में पढ़ाई करेंगे।
- पहले बहुत कम थी छात्र संख्या
गांव के इस विद्यालय में छात्र संख्या बहुत कम थी। बच्चों को निजी स्कूलों में भेजा रहा था। इस परिस्थिति को बदलने के लिए ग्राम प्रधान माधवी ¨सह और उनके पति के.के. हूण ने मिलकर स्कूल के प्रधानाचार्य और ग्रामीणों के साथ बैठक की। बाहर से अनुभवी कलाकार बुलाए। विद्यालय भवन के कमरों को ऐसा लुक दिया कि पूरी स्कूल रेलगाड़ी की तरह दिखाई दे। स्कूल के इस आकर्षक स्वरूप के कारण इस स्कूल में बच्चों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। --कमरों के आगे बनाया डिजाइन
कमरों के आगे विभिन्न डिजाइन बनाकर उसके ऊपर शिक्षा एक्सप्रेस लिखकर हर कमरे का अलग-अलग नाम दिया है। बच्चे इसे देखकर प्रभावित हुए एवं स्कूल में दिन प्रतिदिन छात्र संख्या बढ़ने लगी। इसके साथ प्रधानाचार्य हर समय स्टाफ को साथ लेकर स्कूल की सफाई के काम सहित पेड़-पौधों की देखभाल करते हैं। --क्या कहते हैं जिला पंचायत सदस्य
मेरे मन में कुछ नया करने की रहती है। रंग-रोगन कर रेलगाड़ी का लुक दिया तो बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी। भविष्य में जन सहयोग से मैदान में प्लेटफार्म बनाने की योजना है। -- कृष्णकांत हूण, सदस्य, जिला पंचायत
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क्षेत्र में निजी स्कूलों का दबदबा है। संचालक एक-एक बच्चे के लिए संपर्क करके छात्र संख्या बढ़ाने में लगे हैं। वर्षों से सरकारी स्कूलों की छात्र संख्या में कमी आ रही थी, लेकिन इस बार गांव की सरकारी स्कूल में छात्र संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह एक बेहतर स्थिति है। --माधवी ¨सह, ग्राम प्रधान, अट्टा धनावली --अलवर में भी है ऐसा स्कूल
पहली नजर में किसी प्लेटफार्म पर खड़ी रेलगाड़ी की तरह दिखाई देने वाला अट्टा धनावली के सरकारी स्कूल जैसा ही एक स्कूल राजस्थान के अलवर जिले में है। इस स्कूल का नाम राजकीय माध्यमिक विद्यालय रेलवे स्टेशन अलवर है। हालांकि स्कूल से रेलवे स्टेशन की दूरी काफी है। खास बात यह है कि इस स्कूल में कक्षाएं रेलगाड़ी की बोगी और संस्था के प्रधान का कक्ष रेलगाड़ी के इंजन के स्वरूप में है।
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