एडवांस नया कॉलम: दफ्तरनामा
क तरफ जहां कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से बचने के लिए अधिकारी जनता से मिलने में बच रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कलक्ट्रेट में डिप्टी कलक्टर अरविद द्विवेदी जनता से मिलने में नहीं हिचकिचाते हैं। आखिर घबराएं भी क्यों उन्होंने जनता से मिलने और कोरोना वायरस के संक्रमण में बचने के लिए नायाब तरीका जो निकाल लिया है। उन्होंने अपने दफ्तर में मेज के
10 एचपीआर 30, 31
गौरव भारद्वाज
पब्लिक से मिलना, कोरोना से बचना जरूरी
एक तरफ जहां कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से बचने के लिए अधिकारी जनता से मिलने में बच रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कलक्ट्रेट में डिप्टी कलक्टर अरविद द्विवेदी जनता से मिलने में नहीं हिचकिचाते हैं। आखिर घबराएं भी क्यों, उन्होंने जनता से मिलने और कोरोना वायरस के संक्रमण में बचने के लिए नायाब तरीका जो निकाल लिया है। उन्होंने अपने दफ्तर में मेज के चोरों ओर फाइबर का चैंबर बनवा लिया है, अब जो भी अधिनस्थ या फरियादी उनके दफ्तर में आते हैं तो उस चैंबर के निचले हिस्से में बनी छोटी से खिड़की से फाइल अंदर खिसका देते हैं। साहब उस व्यक्ति का चेहरा देखते हैं और उसके बाद फाइल या आवेदन पत्र को पढ़ते हैं। इस दौरान भी वह एहतियात बरतते हैं। कागज छूने के बाद हाथ और कलम को सैनिटाइज करना नहीं भूलते। उन्हें पता है यह वायरस बेहद घातक है।
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दफ्तर में आई छींक, मची भगदड़
अनलॉक शुरू होने के बाद खुले रजिस्ट्री कार्यालयों में बैनामा कराने वालों की भीड़ उमड़ने लगी। दफ्तर में प्रवेश करने के लिए नियम भी तय हो गए थे। कार्यालयों में सीमित लोगों को ही एंट्री मिलेगी। मोबाइल में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करना, हाथों को सैनिटाइज करना, चेहरे पर मास्क लगाना, थर्मल स्कैनर से शरीर का तापमान देखना, शारीरिक दूरी का पालन करना आदि नियम बनाए गए थे। हालांकि ये नियम कागजी बनकर रह गए। बीते दिनों कार्यालय में रूबीना नामक महिला पहुंची, जैसे ही महिला साहब के दफ्तर की ओर बढ़ी तो कर्मचारी ने रोक लिया। अपना मोबाइल दिखाओ उसमें आरोग्य सेतु एप डाउनलोड है या नहीं। मोबाइल पर एप खोला तो लाल निशान आने लगा। तभी महिला को छींक आ गई। छींक आते ही दफ्तर में भगदड़ मच गई। महिला किसी तरह वहां से रफूचक्कर हो गई। उसके बाद दफ्तर में कई घंटे हड़कंप मचा रहा।
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हम डॉक्टर हैं, इंजीनियर नहीं
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार ने डॉक्टरी में पढ़ाई की। पशुओं की जानकारी प्राप्त की। उनकी बीमारी के बारे में जाना और उसका समाधान किताबों से पढ़ा। पढ़ाई लिखाई कर पशु चिकित्सक बन गए। समय पर सरकारी नौकरी भी मिल गई। जनपद हापुड़ का मुख्य पशु चिकित्साधिकारी भी बना दिया। अच्छा काम चल रहा था। बेसहारा गोवंशों के लिए गोशालाएं खुलने से भी गुरेज नहीं, हमें तो इलाज करना है, लेकिन आजकल उनसे इंजीनियर वाले काम लिए जा रहे हैं। हाल ही में गोशालाओं में वर्मी कंपोस्ट पिट बनाने के लिए शासन से आदेश मिले। कृषि विभाग ने पर्याप्त जमीन के हिसाब से गोशालाएं चिह्नित कर लीं। एस्टीमेट बनाने की जिम्मेदारी मिली। डॉ. प्रमोद कुमार गुस्से में बोले, वर्मी कंपोस्ट पिट बनाने का एस्टीमेट इंजीनियर बनाएगा। हम इंजीनियर नहीं हैं। हम तो डॉक्टर हैं। हम तो पशुओं का इलाज कर सकते हैं।
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गुरुजी के घर बधाइयों का तांता
पाठशाला में बच्चों को क, ख, ग, घ सिखाने वाले सहायक अध्यापक नीरज चौधरी के घर इन दिनों बधाइयों का तांता लगा हुआ है। आखिर हो भी क्यों न, उन्होंने तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र गुप्ता से जंग जो जीत ली है। शिक्षक-शिक्षिकाओं के मुद्दों को लेकर सीधे के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले नीरज चौधरी को उच्च न्यायालय ने बहाल कर दिया है। उन्हें फरवरी माह में तत्कालीन बीएसए ने फर्जी दस्तावेज पर नौकरी करने का दोषी मानते हुए बर्खास्त कर दिया था। आए दिन धरना प्रदर्शन करने वाले नीरज चौधरी ने हार नहीं मानी। लॉकडाउन खुलने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। याचिका दायर की। सुनवाई हुई तो निर्णय पक्ष में आया। कोर्ट का आदेश मिलने पर वर्तमान बीएसए ने नीरज चौधरी को ज्वाइन करा दिया। पहले की तरह नीरज चौधरी धरना-प्रदर्शन में भाग लेंगे या नहीं, अभी साफ नहीं है।