मंडी में 180 व्यापारी, केवल 45 को दुकान आवंटित
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : भाकियू के विरोध को दरकिनार करते हुए पुलिस-प्रशासन ने नवीन म
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर : भाकियू के विरोध को दरकिनार करते हुए पुलिस-प्रशासन ने नवीन मंडी में व्यापारियों को पहुंचा दिया, लेकिन मंडी प्रशासन उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पा रहा है। 180 व्यापारियों में से महज 45 व्यापारियों को ही दुकान आवंटित हो सकी हैं। जबकि 300 से अधिक फल-सब्जी वाले व्यापारी खुले में ही बैठ कर व्यापार करने को मजबूर हैं। मंडी व्यापारियों ने बिजली, पानी, सड़क समेत अन्य सुविधाओं की मंडी सचिव से मांग की है। साथ ही व्यापारियों ने बैठक कर समस्याओं पर चर्चा की। दुकानें आवंटित न होने से व्यापारियों में रोष पनप रहा है।
बृहस्पतिवार दोपहर मंडी व्यापारियों ने बैठक की। बैठक में मौजूद व्यापारियों ने कहा कि 180 खाद्यान व्यापारियों के पास मंडी में व्यापार करने का लाइसेंस है। जबकि मंडी में सिर्फ 45 ही दुकानें बनी हुई हैं। शेष व्यापारी खुले में व्यापार करने को मजबूर हैं। इसके अलावा 300 से अधिक फल-सब्जी के व्यापारी हैं। उन्हें एक भी दुकान आवंटित नहीं की गई है। व्यापारी रमेश चंद चौहान, निशांत अग्रवाल, अमित कुमार, गौरव अग्रवाल, आशु, मानसी बंसल, आशाराम, अंकुर गुप्ता, खेमचंद राणा, राकेश कुमार, संजय कुमार, जयप्रकाश आदि ने कहा कि मंडी में हाईटेंशन तार काफी नीचे हैं। जिसके चलते ट्रक लोड होकर वहां से नहीं निकल सकते। व्यापारियों ने कहा कि दुकानों में प्रकाश व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। शौचालय, पीने का पानी, कांटा, बैंक, कैंटीन की व्यवस्था नहीं है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष मूलचंद ¨सघल को भी दुकान नहीं मिली है। इस संबंध में मंडी सचिव सुशील कुमार ने कहा कि मंडी में आठ हैंडपंप, चार शौचालय हैं। उन्होंने कहा कि मंडी में महज 90 खाद्यान्न व्यापारियों के पास व्यापार का लाइसेंस है। जिनमें से 45 को दुकानें आवंटित कर दी हैं। शेष को टीनशेड में विभाजन करके दुकान चलाने को कह दिया है। जब तक ट्रांसफार्मर नहीं रखा जाता है तब तक जेनरेटर चलाकर विद्युत आपूर्ति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आगामी कुछ दिनों तक व्यापारी सहयोग करें। सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
--मंडी में एनजीटी के आदेश की उड़ाई जा रहीं धज्जियां
मंडी परिसर में एनजीटी के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। बृहस्पतिवार को कुछ लोगों ने धान के छिलके के ढेर में आग लगा दी थी। जबकि एनजीटी ने धान की पुराल और छिलके समेत कूड़े के ढेरों में आग लगाने पर रोक लगा रखी है। धान के छिलके में आग लगाकर हाथ ताप रहे पल्लेदारों का कहना है कि प्रशासन ने इस कड़ाके की ठंड में अलाव के लिए लकड़ियों की कोई व्यवस्था नहीं की है। जिसके चलते उन्हें इस कूड़े के ढेर में आग लगाने की जरूरत पड़ी।