विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार हुआ यमुना पाथवे
अनुराग मिश्रा, हमीरपुर इन दिनों यमुना बेतवा का संगम तट और यमुना पाथवे सुबह और शाम लोगों के
अनुराग मिश्रा, हमीरपुर
इन दिनों यमुना बेतवा का संगम तट और यमुना पाथवे सुबह और शाम लोगों के आर्कषण का केंद्र बना हुआ है। इसका कारण यहां आए हुए सैकड़ों की संख्या में रंग बिरंगे विदेशी पक्षी हैं, जो लोगों को अनायास को ही खड़े होने को मजबूर कर देते हैं। पक्षियों की चहचहाहट और यमुना के पानी में अठखेलियां करते देख लोग घंटों चुपचाप खड़े होकर इसका आनंद ले रहे हैं। सर्दी के मौसम में रूस के साइबेरिया प्रांत में तापमान -30 डिग्री तक चला जाता है। इस कारण यहां के पक्षी भारत जैसे कम ठंडे देशों का रुख करते हैं। ऐसे ही सैकड़ों प्रवासी पक्षी यमुना पाथवे पर भी पहुंचे हुए हैं। इनमें दुर्लभ और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके साइबेरियन डक, गूज, टील, चाइना डक, लाल व काला सर पक्षी भी हैं। आते हैं हजारों में, जाते हैं आधे
पर्यावरणविद एवं पक्षी प्रेमी जलीस खान का कहना है कि हर साल साइबेरियन पक्षी पलायन कर दिसंबर में आते हैं और फरवरी में जाते हैं। जब ये आते हैं तो हजारों की संख्या में होते हैं, लेकिन जाते वक्त ये आधे भी नहीं रह जाते। इसका बड़ा कारण इनका शिकार किया जाना है। दुर्लभ प्रजाति के इन मेहमान पक्षियों के शिकार पर पूर्णतया प्रतिबंध है, लेकिन इसके बावजूद वैध अवैध शस्त्र धारक अक्सर इनका शिकार करते दिख जाते हैं। उन्होंने कहा कि इन्हें बचाने की मात्र वन विभाग, पुलिस या राजस्व विभाग की ही नही जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर आम नागरिक की है। साइबेरियन पक्षियों की खासियत
- इनकी उम्र करीब पांच से छह वर्ष तक होती है।
- ये जलीय सूक्ष्म जंतुओं को अपना भोजन बनाते हैं।
- लाल रंग के पक्षी रेड हेड, काले रंग के ब्लैक हेड तथा श्वेत रंग के पक्षी गूज कहलाते हैं।
- ये हमेशा समूह में उड़ान भरते हैं।