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यहां डेढ़ किमी पैदल चलकर गढ्डों से पानी भरती हैं महिलाएं

संवाद सहयोगी इचौली यूं तो बुदेलखंड में पानी की किल्लत तो हमेशा से रही है लेकिन जिले के

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 07:31 PM (IST)
यहां डेढ़ किमी पैदल चलकर गढ्डों से पानी भरती हैं महिलाएं

संवाद सहयोगी, इचौली : यूं तो बुदेलखंड

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में पानी की किल्लत तो हमेशा से रही है, लेकिन जिले के मौदहा ब्लाक में हालात इसकदर हैं कि लोगों की पूरा दिन भी पानी लाने में निकल जाता है। यहां की महिलाएं, पुरुष व बच्चे सुबह करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर नदी से मीठा पानी लाते हैं, इसके बाद घर की रोटी व लोगों की प्यास बुझती है। इंटरनेट के युग में भी यहां के लोग नदी के पास करीब दो से तीन फीट गहरा गड्ढा खोदते हैं और उसमें लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं।

मौदहा ब्लाक में कपास, गुसियारी, नायकपुरवा व इचौली गांव मुख्य है। यहां पीने के अलावा अन्य घरेलू काम के लिए गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित श्यामनाला नदी तक जाना पड़ता है। इस काम महिला, पुरुष व बच्चे भी शामिल रहते हैं। यहां तक कि गांव के युवा अपनी बाइक के दोनों ओर डंडों के सहारे डिब्बा लेकर पानी लाते नजर आ जाएंगे।

डेढ़ किलोमीटर पैदल चलते हैं फिर खोदते हैं गढ्डा

ग्रामीण महिला मुलिया, प्रेमा, फुलमतिया व केतकी ने संयुक्त रूप से बताया कि गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित श्यामनाला नदी जाकर पानी लाना पड़ता है। इसके लिए भोर पहर एक समूह में सिर पर पानी का डिब्बा लेकर निकलते पड़ते हैं और जंगल के कटीले रास्ते पार करने के बाद नदी तक पहुंचने में करीब एक घंटा लगता है। इसके बाद नदी के किनारे कूड़ा एकत्र होने के कारण पानी दूषित हो जाता है। इस कारण तलहटी के पास करीब दो से तीन फीट गहरा गड्ढा खोदा जाता है। जब इसमें पानी उतारने लगता है तो उसे डिब्बों में भर लिया जाता है। इसके बाद फिर पैदल ऊंचे-नीचे रास्तों से घर पहुंचकर रोज के काम में जुट जाते हैं। बताया कि पता नहीं कब मीठे पानी की किल्लत दूर होगी।

गड्ढों से चोरी हो जाता है पानी

गांव निवासी मातादीन व बलवीर ने बताया कि गांव में पानी की परेशानी हमेशा से है। लेकिन कभी-कभी तो यह स्थिति हो जाती है कि रात में पानी लेने के लिए नदी किनारे जाना पड़ता है। क्योंकि सुबह यदि वहां पहुंचने में देरी हो जाती है तो ग्रामीण चुपचाप बनाए गड्ढों का चोरी कर ले जाते हैं। इससे उन्हें दोबारा पानी लेने के लिए गड्ढों के भरने का इंतजार करना पड़ता है। जिले का आखिरी गांव है इचौली

बांदा-महोबा की सीमा से सटा इचौली जनपद का आखिरी गांव है। यहां से मुख्यालय की दूरी 76 किलोमीटर है। सड़क खराब होने की वजह से मुख्यालय तक आने में चार से पांच घंटे का समय लगता है। इस कारण लोग महीने भर का काम एक साथ लेकर आते हैं और पूरा दिन काम कराने के बाद ही लौटते हैं। गांव में 44 हैंडपंप, सभी का पानी खारा

पूरे गांव में 44 हैंडपंप लगे हुए हैं। इनमें से 30 पानी दे रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि इनमें एक भी मीठा पानी नहीं देता है। ग्रामीण बलबीर ने बताया कि दो-तीन बाल्टी के बाद हैंडपंप पानी देना बंद कर देता है। इसके बाद करीब आधे घंटा वहीं इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद वह फिर से तीन बाल्टी के आसपास पानी देता है। इस कारण इन हैंडपंप का होना ना के बराबर है लेकिन इसके पानी का उपयोग ग्रामीण रोजमर्रा के अन्य कामों में लेते हैं। वहीं गांव के समाजसेवी सौरभ मिश्रा ने बताया कि गांव में पानी की कमी तो वर्षभर रहती है। लेकिन गर्मी शुरू होते ही यहां के हालात बदतर हो जाते हैं।

सदर विधायक के पैतृक गांव को नहीं मिला योजना का लाभ

हाल ही में नायकपुरवा पेयजल योजना गठित हुई है। जिसमें लगभग सवा पांच करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। इस योजना के तहत इचौली में पांच नलकूप लगाए गए। गांव के हर रास्ते में पाइप लाइन बिछाई गई है लेकिन अधिकांश हिस्सों में पेयजल नहीं पहुंचता है। इचौली निवासी रामबाबू प्रजापति ने बताया की मेन पाइप लाइन से सभी कनेक्शन दे दिए गए हैं, इस कारण पानी का बहाव कम होता जाता है और टेल तक नहीं पहुंच पाता है। बताया कि जब भी पंप आपरेटर या पेयजल आपूर्ति में लगे कर्मचारियों से शिकायत की जाती है तो टंकी में पानी न होने का बहाना बना दिया जाता है। बताया कि गांव की आबादी करीब आठ हजार के आसपास है और भाजपा के सदर विधायक युवराज सिंह का यह पैतृक गांव है।

इचौली में प्रत्येक मोहल्ले में पानी इसलिए नहीं पहुंच रहा है कि वहां के लोग पानी का दुरुपयोग करते हैं। पानी भरने के बाद टोटी खुला छोड़ देते हैं। जिससे पानी बर्बाद होता है।

- एन करपात्री, जेई, जल निगम इचौली गांव में पेयजल संकट होने की जानकारी मुझे नहीं है। अगर इस कदर स्थिति खराब है तो इसकी जांच कराकर जल्द से जल्द पेयजल योजना का ग्रामीणों को लाभ दिलाया जाएगा।

- विनय प्रकाश श्रीवास्तव, एडीएम


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