बच्चों के 'दर्द' पर कर दिया समस्या का इलाज
अभय प्रताप ¨सह, हमीरपुर : करीब दो साल पहले स्कूल जाते समय कच्चे रास्ते के दलदल में बेटा और
अभय प्रताप ¨सह, हमीरपुर : करीब दो साल पहले स्कूल जाते समय कच्चे रास्ते के दलदल में बेटा और बेटी फंस कर गिर गए। मा के सीने में दर्द उठा लेकिन महज चंद क्षणों के लिए नहीं। वह इसे महज घटना मानकर चुप नहीं बैठी बल्कि उन्होंने आंदोलन किया और कच्ची राह को पक्की सड़क बनवाकर समस्या का ही इलाज कर दिया। सुनने में फिल्मी सी लगने वाली यह सच्चाई कुरारा विकास खंड के जल्ला गांव की है। यहां रहने वाली कमला ने अपनी हिम्मत और हौसले के बल पर वह कर दिखाया जिसे लोग अक्सर 'सरकार' पर छोड़ देते हैं।
वर्तमान में वे महिला सशक्तीकरण के साथ किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक करती हैं। डेढ़ सौ महिलाओं का समूह तैयार कर वह क्षेत्र में होने वाली लड़कियों की शादी में जाती हैं और जरूरी कामों को निपटाती हैं। वह बताती हैं कि तकरीबन 30 वर्ष पहले शादी के बाद पति रामसेवक का कृषि कार्य व मजदूरी में हाथ बटाना शुरू किया। नौ वर्ष पहले उनकी मौत हो गई। तीन लड़के व दो लड़कियों का एक मात्र सहारा कमला ही थीं। मुसीबतों का पहाड़ सामने था लेकिन कमला ने कभी हार नहीं मानी। बच्चों को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाने के लिए वे जुट गई। इसी बीच पूरे गांव के रास्ते पक्के हो गए लेकिन एक गली को छोड़ दिया गया। यहां दलदल हो जाने के कारण एक दिन कमला का बेटा फिसलकर गिर गया। इस घटना के बाद कमला ने इस रास्ते को पक्का करवाने की ठान ली। उन्होंने मोहल्लेवासियों को जागरूक किया और आंदोलन छेड़ दिया। लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया। आखिर में कमला को जीत मिली और रास्ता सीसी में बदल दिया गया।
आंदोलन से मिली राह
इस आंदोलन की सफलता से उत्साहित कमला से महिलाओं का एक समूह जुड़ा और किसी भी मामले में सलाह लेने लगा। मौजूदा समय में तकरीबन डेढ़ सौ महिलाएं इसकी सदस्य हैं जो क्षेत्र में किसी लड़की के विवाह में परिजनों का हाथ बंटाने के लिए तत्पर रहती हैं। इसके अलावा ग्रामीणों को जैविक खेती व स्वच्छता जैसे विषय पर भी जागरूक कर रही हैं।