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यूपी के इस जिले का इकलौता सरकारी सहायता प्राप्त मदरसा होगा बंद, बच्चे बेसिक स्कूल से होंगे संबद्ध

उच्च न्यायालय ने मदरसा बोर्ड को यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने और मदरसा बोर्ड को अतिरिक्त अनुदान देने के विरुद्ध दिए फैसले से जिले के एकमात्र सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे के 340 छात्रों के सापेक्ष आठ अध्यापकों का प्रभावित होना तय माना जा रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड को गैरकानूनी बताते हुए मदरसा बोर्ड को समाप्त करने की बात कही गई है।

By Rajeev Trivedi Edited By: Abhishek Pandey Published: Sun, 24 Mar 2024 08:28 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2024 08:28 AM (IST)
यूपी के इस जिले का इकलौता सरकारी सहायता प्राप्त मदरसा होगा बंद

संवाद सूत्र, मौदहा। उच्च न्यायालय ने मदरसा बोर्ड को यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने और मदरसा बोर्ड को अतिरिक्त अनुदान देने के विरुद्ध दिए फैसले से जिले के एकमात्र सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे के 340 छात्रों के सापेक्ष आठ अध्यापकों का प्रभावित होना तय माना जा रहा है।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला दिया है। जिसमें उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड को गैरकानूनी बताते हुए मदरसा बोर्ड को समाप्त करने की बात कही गई है। साथ ही मदरसों को मिलने वाले सरकारी अनुदान पर रोक लगाने की बात है। साथ ही यह भी कहा गया है कि मदरसों को उत्तर प्रदेश बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुसार चलाया जाना चाहिए।

जिसके बाद जिले के मौदहा कस्बे में संचालित सरकारी सहायता प्राप्त मदरसा रहमानियां अनवारुल उलूम के 340 छात्रों के भविष्य पर संकट के बादल छा गए हैं। कस्बे में संचालित मदरसा रहमानियां अनवारुल उलूम में मौजूदा समय से आठ लोगों का स्टाफ भी है। जिसमें प्राथमिक स्तर पर 159, जूनियर स्तर पर 91 और माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए लगभग 100 छात्र छात्राएं पंजीकृत हैं।

मदरसा बोर्ड द्वारा संचालित पाठ्यक्रम उर्दू, अरबी और फारसी में होता है। जिसके चलते इन छात्रों को हिंदी या अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने में परेशानी हो सकती है। इस संबंध में ज़िला अल्पसंख्यक अधिकारी हिमांशु अग्रवाल ने बताया कि यह फैसला उच्च न्यायालय का है और न्यायालय के फैसले के अनुसार सभी छात्रों को मदरसा बोर्ड के बजाय बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत संबद्ध कर दिया जाएगा। जबकि अनुदान या अध्यापकों के बारे में जो भी निर्णय आएगा उसे माना जाएगा।


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