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आजादी से बाद से यूपी की इस लोकसभा सीट पर बाहुबली व उद्योगपतियों का रहा दबदबा, जेल से प्रत्याशी ने दर्ज की थी जीत

लोकसभा चुनाव का तिथि तय कर दी गई है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने तैयारी भी शुरू कर दी है। वहीं भाजपा व सपा-कांग्रेस के गठबंधन ने तो प्रत्याशी घोषित कर दिया है लेकिन बसपा से अभी तक कोई उम्मीदवार सामने नहीं आ सका है। इसके इतर आजादी के बाद से आज तक किसी भी राजनीतिक दल ने महिला को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है।

By Rajeev Trivedi Edited By: Abhishek Pandey Published: Tue, 23 Apr 2024 10:47 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2024 10:47 AM (IST)
आजादी से बाद से यूपी की इस लोकसभा सीट पर बाहुबली व उद्योगपतियों का रहा दबदबा

जागरण संवाददाता, हमीरपुर। (Hamirpur Lok Sabha Seat) लोकसभा चुनाव का तिथि तय कर दी गई है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने तैयारी भी शुरू कर दी है। वहीं भाजपा व सपा-कांग्रेस के गठबंधन ने तो प्रत्याशी घोषित कर दिया है लेकिन बसपा से अभी तक कोई उम्मीदवार सामने नहीं आ सका है। इसके इतर आजादी के बाद से आज तक किसी भी राजनीतिक दल ने महिला को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है।

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लोकसभा सीट के चुनाव में अधिकतर बाहुबलियों और धनकुबेरों को मौका दिया गया है। बुंदेलखंड के हमीरपुर महोबा तिंदवारी संसदीय क्षेत्र आता है। सन 1952 में भारत में पहले आम चुनाव कराए गए थे। जिसमे कांग्रेस ने इस सीट पर एमएल द्विवेदी पर दांव लगाया था। जोकि लगातार 1962 तक सांसद रहे थे। 1967 में भारतीय जनसंघ देश में पहली बार अस्तित्व में आई थी।

सपा ने अब तक केवल एक बार दर्ज की जीत

जनसंघ ने गोरक्षा आंदोलन के कारण कुछ सीटें जीती थीं। जिसमें हमीरपुर लोकसभा सीट से स्वामी ब्रह्मानंद भारी मतों से विजयी हुए थे। जिसमें हमीरपुर में कांग्रेस के किले को ध्वस्त किया था। वहीं सपा अभी तक इस सीट पर एक बार ही जीती है। 1991 के आम चुनाव में भाजपा ने वैद्यनाथ कंपनी के मालिक झांसी के पंडित विश्वनाथ शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया था, जो चुनाव में विजयी हुए थे। इनकी गिनती बड़े उद्योगपतियों में आती है।

वहीं उरई के गंगाचरण राजपूत 1989 में जनता दल से सांसद बने थे। इन्हें 1996 में भाजपा ने फिर अपना प्रत्याशी बनाया था और गंगा चरण दोबारा सांसद बने। 2004 के लोकसभा चुनाव में राजनारायण बुधौलिया इस सीट से विजयी हुए थे। इन्हें बाहुबली माना जाता था।

वहीं 1999 में बसपा ने भी बाहुबली अशोक सिंह चंदेल को मैदान में उतारा था जोकि जेल के अंदर होने के बाद भी चुनाव जीते थे।

2009 चुनाव में बसपा ने फिर जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता विजय बहादुर सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया था और वह चुनाव भी जीत गए थे। इसके बाद वह सपा सरकार में महाधिवक्ता भी रहे।

फिर उसके बाद 2014 लगातार दो बार से भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल सांसद हैं। कुल मिलाकर आजादी के बाद से अब तक यहां हमीरपुर महोबा तिंदवारी लोकसभा सीट पर सिर्फ पुरुष ही काबिज रहे और किसी भी राजनीतिक दल ने महिलाओं को एक बार भी मौका नहीं दिया गया।

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