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मानसून की दस्तक, खेती-किसानी का काम शुरू

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By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 06:22 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 06:22 PM (IST)
मानसून की दस्तक, खेती-किसानी का काम शुरू
मानसून की दस्तक, खेती-किसानी का काम शुरू

जागरण संवाददाता, हमीरपुर : मानसून की दस्तक के साथ ही जहां किसान खेतों की तैयारी में जुटे हैं। वहीं, कोरोना के चलते घर लौटे प्रवासियों की वजह से खेतों में काम करने वालों की भी कमी नहीं है। कृषि विभाग भी किसानों को अनुदान में बीज व कीटनाशी रसायन आदि अनुदान पर उपलब्ध कराने को तत्पर है। विभाग ने खरीफ में बोई जाने वाली फसलों के बीज मंगवा लिए हैं।

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इस वर्ष शासन ने जिले में खरीफ फसलों के आच्छादन का लक्ष्य 104451 हेक्टेयर रखा है। इसमें धान्य 17075 हेक्टेयर, दलहन 40771 हेक्टेयर व तिलहन का 46605 हेक्टेयर क्षेत्रफल शामिल है। धान्य में सबसे अधिक ज्वार का 17462 हेक्टेयर, दलहन में उर्द का 31462 हेक्टेयर व तिलहन में तिल का 44458 हेक्टेयर लक्ष्य रखा गया है। बीते वर्ष तुलना में आच्छादन का लक्ष्य 30 फीसदी अधिक है। अनुदान पर बीज उपलब्ध

किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाले खरीफ फसलों के बीज व जैव कीटनाशी रसायन अनुदान पर दिए जाने हैं। बीज में 50 व जैव कीटनाशक में 75 फीसदी अनुदान मिलेगा। कृषि विभाग के अनुसार खरीफ की तैयारी को देखते हुए मूंग का 41 क्विंटल, तिल का 43.70 क्विंटल, उर्द का 38 क्विंटल, अरहर व धान का 24-24 क्विंटल बीज गोदामों में उपलब्ध है। इन्हें किसान अनुदान पर अपने निकटतम कृषि बीज भंडार से प्राप्त कर सकता है। खाद की स्थिति

मौजूदा में जिले में विभिन्न स्त्रोतों के माध्यम से खाद का भंडारण लक्ष्य से अधिक है। जिले में खाद का लक्ष्य 4630 एमटी है वहीं उपलब्धता 5013 एमटी है। बीज की स्थिति

इस सीजन जिले में करीब 4655 क्विंटल बोए जाने का लक्ष्य है। इसके सापेक्ष कृषि विभाग, सहकारी समितियों के अलावा किसानों के पास 4812 एमटी बीज उपलब्ध है। किसानों को बीज व कीटनाशक की कमी नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए पहले से व्यवस्थाएं कर ली गई है। अधिक उत्पादन पाने के लिए किसानों को बीज व भूमि शोधन की सलाह दी। कहा, किसान दलहनी फसलों की बोआई खेतों में बनी मेड़ों पर करें। इससे अधिक वर्षा से जल भराव के कारण फसल को क्षति नहीं होगी और प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होगा। बताया कि उकठा रोग नियंत्रण को ट्राइकोडर्मा व दीमक के नियंत्रण को वुवेरिया से बीज व भूमि शोधन करें।

डॉ. सरस तिवारी, जिला कृषि अधिकारी


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