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मछली पालन से महिलाओं के लिए नजीर बनीं जशोदा

अभय प्रताप ¨सह, हमीरपुर कुछ करने की लगन हो तो हर बाधाएं खुद ही दूर हो जाती है और

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 08:16 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 08:16 PM (IST)
मछली पालन से महिलाओं के लिए नजीर बनीं जशोदा

अभय प्रताप ¨सह, हमीरपुर

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कुछ करने की लगन हो तो हर बाधाएं खुद ही दूर हो जाती है और सफलताएं बुलंदी पर पहुंचा देती हैं। कुछ ऐसा ही मछली पालन से सरीला विकास खंड क्षेत्र के इंदरपुरा गांव निवासी जशोदाबाई ने कर दिखाया। कम लागत से अपनी कमाई को एक साल में सात गुना करने पर कृषि विभाग के अलावा शासन स्तर पर भी जशोदाबाई को 70 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि से सम्मानित किया जा चुका है। अपनी मेहनत से वह महिलाओं के लिए नजीर बन गई हैं।

गृहस्थी चलाने में पति का साथ देने के लिए जशोदाबाई ने वर्ष 2015 में मत्स्य पालन को अपनाया। गांव में दो हेक्टेयर में बने तालाब को 14850 रुपये प्रति वर्ष की लगान पर अपने नाम पट्टा करा लिया। एक साल में करीब 85 हजार की कुल लागत से उन्होंने सात से आठ रुपये की मछली बाजार में बेची। तालाब से 80 से 85 क्विंटल मछली निकलती है और व्यापारियों को 80 से 90 रुपये किलोग्राम की दर से बेची जाती है।

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मत्स्य विभाग ने नहीं मिलाता आर्थिक सहयोग

जशोदाबाई ने बताया कि उन्हें मत्स्य विभाग से कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिलता। हां इतना जरूर है कि अच्छे उत्पादन की बारीकियां बताई जाती हैं।

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बेहतर मत्स्य उत्पादन का तरीका

सहायक जिला मत्स्य अधिकारी बृजभूषण ¨सह ने बताया कि जशोदा को जिले में सबसे अधिक मत्स्य उत्पादन करने के चलते कृषि विभाग व शासन द्वारा पुरस्कृत किया गया था। कृषि विभाग ने किसान दिवस पर पांच हजार रुपये देकर सम्मानित किया। इसके अलावा शासन स्तर पर 65 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि से सम्मानित किया जा चुका है।

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सही देखरेख सफलता की कुंजी

जशोदा द्वारा उत्तम कोटि का मत्स्य बीज तालाब में डलवाया गया। साथ ही निर्धारित समय पर तालाब में जाल डाला गया ताकि मछली के बच्चे तेजी से दौड़े। इस दौड़ से मत्स्य बीज का विकास तेजी से होता है। बशर्तें उन्हें चारा भी समय पर और अच्छा दिया जाए। इसमें खली, चावल कना व फिस फीड़ उपलब्ध है। इन सभी प्रयासों के माध्यम से ही अच्छा उत्पादन होता है।


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