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Lok Sabha ELection: अगर मायावती ने चली ये चाल तो मच सकती है हचलच, सपा-कांग्रेस गठबंधन के वोटों पर पड़ेगा असर

1999 के लोकसभा चुनाव में अशोक सिंह चंदेल को बसपा ने प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने जीत भी हासिल की थी। इसके बाद 2004 के आम चुनाव में सपा ने सीट पर कब्जा कर लिया था। 2009 में बसपा के विजय बहादुर सिंह ने फिर सपा से यह सीट छीन ली। हालांकि इसके बाद से बसपा का ग्राफ लगातार गिरता रहा।

By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Published: Fri, 19 Apr 2024 11:39 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2024 11:39 AM (IST)
अगर मायावती ने चली ये चाल तो हचलच मचनी तय, सपा-कांग्रेस गठबंधन के वोटों पर पड़ेगा सीधा असर

जागरण संवाददाता, हमीरपुर। हमीरपुर महोबा तिंदवारी संसदीय क्षेत्र की राजनीति इस दिनों शतरंज के चाल की तरह उलझी हुई है। यहां भाजपा ने दो बार सांसद रहे पुष्पेंद्र चंदेल पर तीसरी बार भरोसा जताते हुए फिर टिकट दिया है। वहीं सपा-कांग्रेस के गठबंधन ने चरखारी निवासी अजेंद्र सिंह लोधी को टिकट देकर मैदान में उतारा है। अब बारी बसपा की है।

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नामांकन के महज नौ दिन शेष हैं और अब तक बसपा ने अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। इसे लेकर बसपा कार्यकर्ता तो ऊहापोह में है ही अन्य दलों के माथे पर भी चिंता की लकीरें खिंची हुई हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि यदि बसपा मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारती है तो इसका सीधा असर सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी के वोटों पर पड़ेगा।

लोधी प्रत्याशी पर दांव लगाती है तो भी सपा-कांग्रेस गबठंधन में हचलच मचनी तय है। गठबंधन से लोधी जाति के अजेंद्र सिंह लोधी को प्रत्याशी बनाया जा चुका है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, बसपा इस बार फिर पुराने चेहरे पर दांव लगाने का मन बना रही है। इसमें पूर्व मंत्री चौधरी ध्रूराम लोधी, सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक का चुनाव लड़े और केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति से हारे बसपा के फतेह खान का नाम भी शामिल है। इसके अलावा 2022 में बसपा से विधायक का चुनाव लड़ने वाले रामफूल निषाद के नाम की भी चर्चा है।

दो बार बसपा के बने सांसद

1999 के लोकसभा चुनाव में अशोक सिंह चंदेल को बसपा ने प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने जीत भी हासिल की थी। इसके बाद 2004 के आम चुनाव में सपा ने सीट पर कब्जा कर लिया था। 2009 में बसपा के विजय बहादुर सिंह ने फिर सपा से यह सीट छीन ली। हालांकि, इसके बाद से बसपा का ग्राफ लगातार गिरता रहा। 2014 व 2019 में भाजपा ने इस सीट पर कब्जा किया और पुष्पेंद्र सिंह चंदेल सांसद बने।

बहन मायावती अभी पहले व दूसरे चरण के चुनाव में व्यस्त हैं। इस कारण कुछ स्थानों पर बसपा का प्रत्याशी घोषित नहीं किया जा सका है। जल्द ही यहां भी प्रत्याशी की घोषणा कर दी जाएगी। पार्टी का कार्यकर्ता अपने काम में जुटा हुआ है, गांव-गांव जाकर लोगों से संपर्क का काम जारी है। -रामकरन अहिरवार, बसपा जिलाध्यक्ष।


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