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'घायल' फसल पर तड़पे अन्नदाता

अभिषेक द्विवेदी महोबा वर्ष 2012 में मऊ शिव

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 11:22 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 11:22 PM (IST)
'घायल' फसल पर तड़पे अन्नदाता
'घायल' फसल पर तड़पे अन्नदाता

केस 1-

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कुछ फसल बची तो ही कर्ज की भरपाई

मौसम साफ होने के बाद शनिवार को धूप भले चटख थी मगर, श्रीनगर क्षेत्र में किसान लक्ष्मण यादव के सामने अंधेरा छाया था, जिसमें भविष्य का कुछ भी पता नहीं चल रहा था। ओलावृष्टि से उनकी काफी फसल धराशायी हो गई। लंबी सांस खींच कर वह बताते हैं, छह बीघा खेत हैं। आर्यावर्त बैंक से 55 हजार रुपये का ऋण लिया है। गेहूं व चना बोया था। नुकसान के बाद यदि कुछ फसल बची तो कर्ज की भरपाई हो पाएगी अन्यथा अगली फसल का इंतजार करना होगा। और कोई जरिया नहीं है। छोटे बेटे का विवाह भी करना है। क्या करें, कुछ सूझ नहीं रहा।

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केस 2-

कोई रास्ता न मिला तो खेत बेचना पड़ेगा

बिलखी के किसान सुरेश तिवारी भी फसल की बर्बादी से टूटे नजर आए। 25 बीघा खेत पर चार लाख रुपये का ऋण है। लाही और गेहूं की बोवाई में एक लाख रुपये लागत आई थी। ऋण की भरपाई के लिए बची हुई फसल ही सहारा है। दूसरा धंधा नहीं है। परिवर खर्च भी चलाना है। दूसरी बेटी के विवाह के समय ऋण लिया था। अब छोटी बेटी का विवाह भी करना है। वह कहते हैं कि कोई रास्ता नहीं मिला तो कुछ खेत भी बेचना पड़ सकता है।

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जागरण संवाददाता, महोबा :

फागुन का उल्लास लेकर आए मार्च में जहां अन्नदाता अपनी पक कर तैयार फसलों को लेकर खुशी में डूबे थे, वहीं मौसम छल कर उन्हें रुला जाएगा, इसका अंदाजा नहीं था। गांवों में अनचाहे दु:ख ने डेरा डाल दिया है। बारिश और ओलावृष्टि ने खेतों में तबाही की ऐसी कहानी गढ़ दी है कि इसका अंत क्या होगा, अन्नदाता सोचकर परेशान हैं। शुक्रवार को और भी ज्यादा बारिश व ओलावृष्टि के बाद फसलें घायल होकर खेतों में बिछी पड़ी हैं और किसान तड़प उठे हैं। सदमा इतना गहरा कि बांसपहाड़ी श्रीनगर निवासी 55 वर्षीय ग्यासी साहू की जान चली गई। उनकी आठ बीघा की फसल बर्बाद हो गई। सिर पर पांच लाख रुपये का कर्ज था। बड़खेरा ग्राम निवासी 54 वर्षीय प्रेमलाल भी जिदगी से नाता तोड़ गए। उनकी 20 बीघा में खड़ी गेहूं की ज्यादातर फसल बर्बाद हो गई थी। करीब 30 हजार रुपये कर्ज था। कई किसान दोराहे पर आ खड़े हुए हैं। उधर, कृषि विभाग का दावा है कि इस वर्ष 3217 किसानों को तीन करोड़ 22 लाख रुपये की बीमा राशि दिलाई गई है।

शुक्रवार सुबह हुई बारिश व ओलावृष्टि से कबरई विकास खंड के श्रीनगर और महुआबांध इलाके के कई गांवो में किसानों की जैसे कमर ही टूट गई है। श्रीनगर, पिपरामाफ, ननौरा, सिजहरी, बसौरा, भड़रा, बिलरही, बरा, कैमाहा, इमिलिया, अतरारमाफ,फुटेरा, लुहेंड़ी, उरवारा, ढुड़ैया, चितैया, चिचारा आदि गांवों में ओले गिरने से चना, सरसों, मटर व जौ व गेहूं की लगभग 30 फीसद फसल बर्बाद हो गई। किसानों का कहना है कि धूप में नुकसान बढ़ेगा। फलियां, जिन पर ओले गिरे हैं, गिरना शुरू होंगी। जिला प्रशासन ने नुकसान की भरपाई के लिए प्रभावित क्षेत्र के गावों का सर्वे तेजी से शुरू कर दिया है।

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डीएम ने देखे श्रीनगर, चितैया, उरवारा व ननौरा के खेत

खराब हुई फसलों के निरीक्षण के लिए डीएम ने शनिवार को स्थलीय निरीक्षण किया। किसानों से बातचीत की। डीएम अवधेश तिवारी श्रीनगर, चितैया, उरवारा व ननौरा गांव पहुंचे, गेहूं, चना, मटर और लाही की बर्बाद फसल देखी। उन्होंने बताया कि 10 -15 फीसद नुकसान तो हुआ है मगर, शासन 33 फीसद से पहले नुकसान नही मानता है। धूप निकलने के बाद जो परिणाम होगा, उसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी। जिले के 39 गांव में ओले गिरने की सूचना आई थी। सभी जगह निरीक्षण हो रहा है।

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इनसेट

अधर में लटका 2700 किसानों का बीमा

फसल बीमा के साथ आधार कार्ड लिक करने में हुई देरी से बीती आठ फरवरी को प्रधानमंत्री फसल बीमा पोर्टल बंद कर दिया गया। 2700 किसानों का फसल बीमा अधर में लटक गया। एलडीएम अनूप यादव का कहना है कि शासन को पत्र भेजकर पोर्टल दोबारा खुलवाने अथवा किसानों का धन वापस करने के निर्देश मांगे जाएंगे।

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कोट-1

मौसम 19 मार्च तक ऐसा ही रहने की उम्मीद है। जहां ओलावृष्टि हुई है, वहां भारी नुकसान है। गेहूं की फसलों में पानी लगने के बाद तेज हवा में फसल गिर जाती है। सरसों, मसूर, चना व मटर को किसान अभी तीन चार दिन और न काटें। यदि काटें तो सुरक्षित स्थान पर रख लें।

मुकेशचंद्र अग्रवाल, कृषि वैज्ञानिक

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कोट-2

श्रीनगर के गांवों में ज्यादा नुकसान हुआ है। जिनका बीमा है, वे 72 घंटे मे बीमा कंपनी व कार्यालय में अवगत कराएं। ओलावृष्टि से हुई क्षति का आकलन कराया जा रहा है। रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।

जी. राम, उपनिदेशक कृषि

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