ब्लड सेंटर को हुआ एनीमिया, मरीज होते रेफर
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : जिला अस्पताल स्थित इकलौता एक ब्लड सेंटर खुद ही एनीमिया से ग्रसित ह
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : जिला अस्पताल स्थित इकलौता एक ब्लड सेंटर खुद ही एनीमिया से ग्रसित है। मरीजों को राहत देने के लिए खुले इस ब्लड बैंक में खून की कमी हो गई है। यहां 100 के बजाय केवल 9 यूनिट ब्लड का ही स्टॉक शेष है जबकि कई ग्रुप का ब्लड तो है ही नहीं। इस कमी के कारण दुर्घटना में गंभीर रूप से घायलों व खून की कमी से जूझ रहीं प्रसूताओं को इलाज नहीं मिल पाता है। जिंदगी बचाने के लिए डॉक्टर उन्हें कानपुर रेफर कर देते हैं।
जिले में प्रतिदिन 20 से 25 यूनिट खून की जरूरत पड़ती है। ब्लड सेंटर के इंचार्ज हरेंद्र यादव ने बताया कि लोगों में जागरुकता का अभाव है। रक्त का एकत्र न होना यह सबसे बड़ा कारण है। मौजूदा समय में ब्लड बैंक में मात्र नौ यूनिट रक्त है। ब्लड बैंक में खून न उपलब्ध होने से मरीजों की जिंदगी अक्सर खतरे में पड़ जाती है। मार्ग दुर्घटना में गंभीर रूप से घायलों को जिला अस्पताल में खून नहीं मिलता। प्रसूताओं को प्रसव के दौरान खून की आवश्यकता पड़ती है तो उन्हें भी कानपुर रेफर कर दिया जाता है।
यह है स्थिति
रक्त समूह यूनिट
ए पॉजीटिव - 5
बी पॉजीटिव - 1
बी प्लस - 1
एबी प्लस - 1
ओ पाजीटिव - 1
ओ निगेटिव - 1
नहीं है इस ग्रुप का ब्लड
- ए निगेटिव
- बी निगेटिव
- एबी निगेटिव
30 से 35 दिन में खराब हो जाता रक्त ब्लड बैंक में रखा खून उपयोग न होने पर 30 से 35 दिनों में खराब हो जाता है। जरूरतमंद लोगों को जितने यूनिट खून दिया जाता है। उतने यूनिट खून उसके परिजन से पहले ले लिया जाता है। '' ब्लड सेंटर मे करीब 100 यूनिट रक्त रखने की क्षमता है। मौजूदा समय में रक्त की मांग ज्यादा है। इस कारण ब्लड का स्टॉक नहीं हो पा रहा है क्योंकि करीब 35 दिन बाद यह खराब होने लगता है। एक सप्ताह बाद रक्तदान शिविर लगाया जाएगा ताकि रक्त की कमी दूर की जा सके।
- हरेंद्र यादव, इंचार्ज ब्लड सेंटर