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कृषि विज्ञानी ने जायद में तिल की खेती का किया सफल परीक्षण

जायद में तिल की खेती कर आमदनी बढ़ाए किसान क्कह्वढ्डद्यद्बह्यद्धद्गस्त्र क्च4 हृद्ग2ह्य2ह्मड्डश्च 7 टीम

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 06:38 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2020 06:09 AM (IST)
कृषि विज्ञानी ने जायद में तिल की खेती का किया सफल परीक्षण
कृषि विज्ञानी ने जायद में तिल की खेती का किया सफल परीक्षण

संवाद सूत्र कुरारा : कस्बा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विज्ञानी ने ग्रीष्मकालीन जायद में तिल फसल की प्रजाति गुजरात 2 व 5 का सफल परीक्षण किया है। इसमें ग्राम बरुआ में करन सिंह, कुरारा देहात में महेंद्र सिंह व मुस्करा क्षेत्र के चिल्ली गांव के प्रगतिशील किसान रघुवीर सिंह शामिल है। इनके खेत में इसका सफल परीक्षण किया गया।

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कस्बे के कृषि विज्ञान केंद्र की कृषि विज्ञानी डॉ. शालिनी ने बताया कि ग्रीष्मकालीन जायद में बुंदेलखंड का तिल की फसल का उत्पादन कर अधिक मुनाफा कर सकेगा। बताया कि कृषि विश्वविद्यालय गुजरात से निकाली गए तिल की फसल प्रजाति गुजरात 2 व 5 की बोआई 15 फरवरी से मार्च के प्रथम सप्ताह में की जाती है। जो बुंदेलखंड के जनपदों में ग्रीष्मकालीन बुवाई के लिए बहुत ही कम खर्च में अत्यधिक मुनाफा देने वाली साबित हो रही है। बताया कि तिल में बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है। कहा कि अभी जायद में तिल की फसल को लेकर और अधिक शोध की जरुरत है। यदि यह पूर्ण रूप से सफल रहे तो किसान गुजरात व मध्य प्रदेश की तरह वर्ष में दो बार तिल की फसल की बोआई बुंदेलखंड में भी कर सकते हैं। इससे जिले में जायद के समय खाली पड़े रहने वाले अधिकांश खेत हरे भरे रहेंगे। साथ ही अधिक मात्रा में इसकी बुआई करने से अन्ना प्रथा नियंत्रण को बल मिलेगा। कृषि विज्ञानी डॉ. एसपी सोनकर ने बताया कि शासन सभी के साथ किसानों को भी नई-नई तकनीक अपनाकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए उन्हें नई तकनीकि की खेती करने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने किसानों को सलाह दी की जायद में तिल की बोआई कर खरीफ की अपेक्षा अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। क्योंकि खरीफ में अधिक बारिश होने के कारण तिल की फसल खराब होने की संभावना हो जाती है। उक्त फसल का जिले के उन्नतशील किसानों द्वारा सफल परीक्षण किया जा चुका है।


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