950 किमी चल पश्चिम बंगाल से जनपद पहुंचे 16 श्रमिक
कोरोना महामारी के चलते संपूर्ण देश में लॉकडाउन
जागरण संवाददाता, महोबा : घर पहुंचने के लिए पश्चिम बंगाल में फंसे 16 श्रमिक 950 किमी का रास्ता तय कर मुख्यालय पहुंचे। रास्ते में कई समाजसेवियों ने उन्हें भोजन कराया। कुछ दिन वे भूखे भी रहे। कुछ देर यहां ठहरकर सभी मध्यप्रदेश के शहडोल रवाना हो गए।
लॉकडाउन-टू का समय पूरा होने के साथ प्रदेश सरकारें घरों से दूर फंसे श्रमिकों को भेजने का इंतजाम कर रही है। लोगों की स्क्रीनिग के बाद 14 दिन क्वारंटाइन कर सभी को घर भेजने की व्यवस्था की गई है। गुरुवार को पश्चिम बंगाल के होजरी उद्योग में काम करने वाला 16 सदस्यीय युवा श्रमिकों का दल मुख्यालय पहुंचा। बजरंग चौक में एक शेड के नीचे बैठे श्रमिकों ने बताया कि छह दिन पहले वे पश्चिम बंगाल से चले थे। कहीं ट्रक, टैंपो जो मिला उससे चले। कई दिन पैदल चले। किसी तरह अब वह यहां तक पहुंचे हैं। साथ चल रहे रमेश ने कहा कि शुरुआत में सवारियां मिली पर बाद में अधिकाश पैदल ही चलना पड़ा। सुधीर ने बताया कि निकलते समय जो खाना लेकर चले थे दो दिन में समाप्त हो गया। कुछ समय भूखे रहना पड़ा आगे चल कर लोगों ने लंच पैकेट देना शुरू किया तो भूख मिटती गई। यहां से अभी शहडोल तक लगभग 375 किलोमीटर का सफर और तय करना है। यहां समाजसेवी ने भोजन दिया तो उन्होंने खाना खाया। मुख्य मार्गों पर चेकिग थी। इसलिए अधिकांश खेतों और पगडंडियों से गुजरे। प्रमुख शहरों की बस्ती देख जरूर मुख्य मार्ग से चले। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि लाख सख्ती के झारखंड, बिहार जैसे प्रांत और कई बड़े जिले पड़े पर इन युवकों का न तो कहीं परीक्षण हुआ और न ही क्वारंटाइन किए गए। युवकों ने बताया कि कानपुर से होकर आए, पर कहीं जांच नहीं हुई। यहां से पूरा दल शहडोल चला गया।