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यशश्वी ने बढ़ाया यूपी का मान, अंडर-23 क्रिकेट श्रृंखला में भारतीय टीम में बनाया स्‍थान Gorakhpur News

यशश्वी जायसवाल 19 सितंबर से लखनऊ में शुरू होने जा रही पांच मैचों की भारत-बांग्लादेश अंडर-23 क्रिकेट श्रृंखला के लिए यशश्वी का चयन भारतीय टीम में चुने गए हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 09:36 AM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2019 03:38 PM (IST)
यशश्वी ने बढ़ाया यूपी का मान, अंडर-23 क्रिकेट श्रृंखला में भारतीय टीम में बनाया स्‍थान Gorakhpur News
यशश्वी ने बढ़ाया यूपी का मान, अंडर-23 क्रिकेट श्रृंखला में भारतीय टीम में बनाया स्‍थान Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। 'जब से क्रिकेट को जाना, बस हर दिन मेहनत से खेलता जा रहा हूं। कभी यह नहीं सोचता कि क्या पाना है, पूरा ध्यान अच्‍छा खेलने पर है।' यह बातें हैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर यशश्वी जायसवाल की। 19 सितंबर से लखनऊ में शुरू होने जा रही पांच मैचों की भारत-बांग्लादेश अंडर-23 क्रिकेट श्रृंखला के लिए यशश्वी का चयन भारतीय टीम में हुआ है।

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सेंट एंड्रयूज कालेज के मैदान पर अभ्यास करने आए यशश्वी ने दैनिक जागरण से बातचीत में अपने संघर्षों की कहानी साझा की। क्रिकेट को लेकर शुरू से जुनून था। वह मुंबई चले आए। सपनों की नगरी में बड़े सपनों के साथ आए यशश्वी की राह कठिनाईयों से भरी रही। बकौल यशश्वी उन्हें हर हाल में खेलना था, क्रिकेट को छोड़कर उनके पास कुछ नहीं था। आजाद मैदान के कैंप में भीषण गर्मी के बीच रातें बिताईं। वहां शौचालय तक की व्यवस्था नहीं थी। खर्च चलाने के लिए मैदान पर काम किया, गेंदें ढूंढी और आजाद मैदान पर पानी पूरी भी बेची।

बांये हाथ के बल्लेबाज यशश्वी बताते हैं कि मुंबई में क्रिकेट एकेडमी चलाने वाले गोरखपुर के ज्वाला सिंह से मिलना जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट रहा। उन्होंने बताया कि सचिन तेंदुलकर व वसीम जाफर उनके आदर्श हैं। जाफर के साथ वह खेलते हैं, जबकि एक साल पहले अंडर-19 भारतीय टीम में चयन के बाद सचिन उन्हें बुलाया था। सचिन ने उन्हें हस्ताक्षर किया बल्ला भेंट किया था,  यशश्वी ने उससे खेला भी। यशश्वी कहते हैं कि सचिन के साथ तब फोटो नहीं ले पाया था, अगली मुलाकात का मौका मिला तो जरूर लूंगा।   

इच्‍छाशक्ति हो तो फेल होने का डर नहीं होता : ज्वाला सिंह

गोरखपुर के रुस्तमपुर निवासी ज्वाला सिंह आज जाना-पहचाना नाम बन चुके हैं। उनके शिष्य रहे यशश्वी व पृथ्वी शॉ जैसे क्रिकेट खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखेर रहे हैं। दो दर्जन से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अच्‍छा प्रदर्शन कर रहे हैं। ज्वाला का कहना है कि इ'छाशक्ति हो तो फेल होने का डर नहीं होता।

गोरखपुर में मौजूद ज्वाला सिंह ने सेंट एंड्रयूज कालेज के मैदान पर दैनिक जागरण से बातचीत की। उन्होंने बताया कि 1995 में मुंबई गए, 1997 से घर से आर्थिक मदद लेना बंद कर दिया। उसके बाद संघर्ष शुरू हुआ। फुटपाथ पर सोना पड़ा, उधार लेकर काम चलाना पड़ा। क्रिकेट में प्रदर्शन अ'छा था, लेकिन परिस्थितियों के कारण बड़ी कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि कोचिंग उनके लिए काफी अ'छी है, खिलाडिय़ों को बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं। कहा कि 2010 में ज्वाला फाउंडेशन शुरू किया। यशश्वी जायसवाल व पृथ्वी शॉ संघर्षों से निकले खिलाड़ी हैं। इसी तरह और भी खिलाड़ी अ'छा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुंबई में एक वर्ग ऐसा है, जिसके पास सुविधाएं हैं, और दूसरा पक्ष यह है, जिसके पास केवल इच्‍छाशक्ति। उन्होंने कहा कि कभी दबाव में नहीं आना चाहिए बल्कि विपरीत परिस्थितियों से ताकत प्राप्त करनी चाहिए। 


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