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World Thyroid Day: थायराइड से पीड़ित हैं BRD मेडिकल कॉलेज में पहुंच रहीं 60 प्रतिशत गर्भवती, वजह जान लें

बीआरडी में इलाज के लिए पहुंच रही गर्भवती महिलाओं में थायराइड की समस्या अधिक मिल रही है। विशेषज्ञों की मानें तो इस समस्या से बचना तो मुश्किल है लेकिन खान-पान सहित विभिन्न बातों पर ध्यान देने से इसकी गंभीरता कम की जा सकती है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Thu, 25 May 2023 10:18 AM (IST)Updated: Thu, 25 May 2023 10:18 AM (IST)
World Thyroid Day: थायराइड से पीड़ित हैं BRD मेडिकल कॉलेज में पहुंच रहीं 60 प्रतिशत गर्भवती, वजह जान लें
World Thyroid Day: 60 प्रतिशत गर्भवती थायराइड से पीड़ित। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। तराई बेल्ट होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश में थायरायड की समस्या ज्यादा है। इससे महिलाएं ज्यादा प्रभावित हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज में उपचार के लिए पहुंच रहीं 60 प्रतिशत गर्भवती में थायराइड की समस्या मिल रही है। विशेषज्ञों ने कहा है कि इससे बचना मुश्किल है, लेकिन जांच से सही समय पर इसका पता चल जाने पर जटिलताएं नियंत्रित करना आसान हो जाता है। खासकर गर्भवती को प्रसव पूर्व जांच जरूर करा लेनी चाहिए।

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विशेषज्ञों का कहना है कि थायराइड हमारे गले में एक छोटी तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो शरीर की हर कोशिका, उतक और अंग को प्रभावित करने वाले हार्मोन का उत्पादन करती है। यानी शरीर के ठीक तरह से काम करने के लिए यह ग्रंथि महत्वपूर्ण है। जब हार्मोन का उत्पादन कम या ज्यादा होने लगता है, थायरायड ग्रंथि में सूजन, ट्यूमर या किसी तरह की दिक्कत आती है तो समस्या उत्पन्न होती है। इसका मुख्य कारण आयोडीन की कमी है। इससे बचने के लिए गोभी, पत्ता गोभी, जंक फूड, सोयाबीन व पालक के सेवन से परहेज करना चाहिए। इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 25 मई को विश्व थायराइड दिवस मनाया जाता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बीआरडी मेडिकल कालेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुधीर गुप्ता ने बताया कि लगभग 60 प्रतिशत गर्भवती में थायराइड की समस्या मिल रही है। समय से जांच व उपचार ही इसका निदान है। कोई भी उपाय करके इससे बचा नहीं जा सकता। खान-पान व दिनचर्या सही कर इसकी गंभीरता को कम किया जा सकता है। गर्भवती को हर तीन माह पर इसकी जांच जरूर करा लेनी चाहिए।

इंडोक्राइनोलाजिस्ट डॉ. कन्हैया अग्रवाल ने बताया कि थायराइड दो तरह का होता है- हाइपो व हाइपर। हाइपो थायरायड में वजन बढ़ जाता है, सुस्ती आती है। महिलाओं का मासिक धर्म अनियमित हो जाता है। ठंड ज्यादा लगती है। बाल कमजोर होते हैं। हाइपर में वजन कम हो जाता है, रोगी को गर्मी ज्यादा लगती है, उसके शरीर में कंपन शुरू हो सकता है और कमजोरी महसूस होगी।

एम्स की नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. रुचिका अग्रवाल ने कहा कि पुरुषों में यह समस्या महिलाओं की अपेक्षा कम देखने को मिल रही है। ईएनटी विभाग में आने वाले पांच प्रतिशत रोगी थायराइड की समस्या से ग्रसित हैं। इससे बचाव का उपाय नहीं है, लेकिन सतर्कता बरती जा सकती है। वजन अधिक होने या कम होने पर थायराइड की जांच जरूर करा लें।


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