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World Lion Day पर गोरखपुर चिड़ियाघर में पेंटिंग के जरिये शेरों को बचाने का दिया संदेश, तस्वीरों में देखें प्रतिभागियों का क्रेज

World Lion Day 2022 गोरखपुर चिड़ियाघर के प्रवेश द्वार से लेकर बाघों के बाड़े तक लोगों ने धीमी चाल से बड़ा संदेश दिया। शेर के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। साथ ही पेटिंग प्रतियोगिता के जरिये लोगों ने शेर के संरक्षण का संदेश दिया।

By Pragati ChandEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2022 03:50 PM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2022 03:50 PM (IST)
World Lion Day पर गोरखपुर चिड़ियाघर में पेंटिंग के जरिये शेरों को बचाने का दिया संदेश, तस्वीरों में देखें प्रतिभागियों का क्रेज
World Lion Day पर गोरखपुर चिड़ियाघर में पेंटिंग के जरिये शेरों को बचाने का दिया संदेश। फोटो: अभिनव राजन चतुर्वेदी।

गोरखपुर, जागरण संवाददााता। गोरखपुर चिड़ियाघर में विश्व शेर दिवस के मौके पर बुधवार को पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। वहीं जंगल के राजा शेर के संरक्षण के लिए लोगों ने चिड़ियाघर के प्रवेश द्वार से लेकर शेर के बाड़े तक धीमी दौड़ लगाई। इस दौरान लोगों से अपील की गई कि वह शेर के साथ-साथ अन्य वन्यजीवों के संरक्षण पर ध्यान दें।

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सभी फोटो: अभिनव राजन चतुर्वेदी।

शेरों के संरक्षण पर ध्यान दें

विश्व शेर संरक्षण दिवस को लेकर बुधवार को चिड़ियाघर में धीमी दौड़ का आयोजन किया गया था। इस दौड़ में भाग लेकर प्रतिभागियों ने लोगों का आह्वान किया कि वह शेरों के संरक्षण पर ध्यान दें।

पेंटिग के जरिये शेरों को बचाने का दिया संदेश

इसके अलावा प्रतिभागियों ने पेटिंग प्रतियोगिता के जरिये शेरों को बचाने का संदेश दिया। इस दौरान लोगों को बताया गया कि विश्व शेर दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2013 में हुई थी। साल 2013 से लेकर अब तक हर साल इस दिन को 10 अगस्त को मनाया जाता है। प्राणी उद्यान के वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ डा. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि प्राणी उद्यान में हेरीटेज फाउंडेशन, वी फार एनिमल, जीबीएस, रोटरी गोरखपुर मिडटाउन के सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

औसतन 15-18 वर्ष जीते हैं शेर

गोरखपुर चिड़ियाघर में दो शेर हैं। शेर पटौदी नौ वर्ष का है तो शेरनी मरियम 18 वर्ष से अधिक आयु की है, लेकिन वह पूरी तरह से स्वस्थ है। सामान्य तौर पर चिड़ियाघर में शेरों की औसत आयु ही 15-18 वर्ष है, लेकिन यहां मरियम के स्वास्थ पर निरंतर ध्यान देने का नतीजा है कि वह अभी भी 10-12 किलो तक मांस आसानी से खा लेती है, जबकि शेर पटौदी 12-14 किलो मांस रोजाना खाता है।

शेरों को भाती है गर्मी

गर्मी के मौसम से आमतौर पर सभी वन्यजीव बचते हैं, लेकिन मरियम व पटौदी दोनों को गर्मी का मौसम बेहद पसंद हैं। चटक धूप में जहां अन्य वन्यजीव अपने बाड़े में दुबके रहते हैं, वहीं शेर चटक धूप में भी मौसम का पूरी तरह आनंद लेता है। दोनों नमी के बचाव शुष्क स्थलों पर बैठना अधिक पसंद हैं।

आने वाले दिनों में चिड़ियाघर में बढ़ सकती है शेरों की संख्या

गुजरात में गिर के जंगल शेरों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस जंगल में 650 से अधिक एशियाटिक शेर हैं। चिड़ियाघर में मौजूद पटौदी व मरियम भी गिर के जंगल के हैं। पटौदी व मरियम को रेस्क्यू करके गिर के जंगलों से गुजरात के जूनागढ़ के सक्करबाग जुलोजिकल पार्क में लाया गया था। वहां से पटौदी व मरियम समेत आठ शेरों को इटावा लायन सफारी लाया गया। उनमें से पांच शेर गोरखपुर चिड़ियाघर को मिलने थे, लेकिन मिले सिर्फ दो। मरियम अवस्था अधिक देखकर चिड़ियाघर प्रशासन यह उम्मीद जता रहा है कि आने वाले दिनों में उसे और भी शेर मिलेंगे।

सिर्फ गोरखपुर चिड़ियाघर में हैं दो एशियाटिक शेर

चिड़ियाघर में वर्तमान में दो एशियाटिक शेर हैं। इन्हें शुद्ध शेर कहा जाता है। प्रदेश के अन्य चिड़याघरों में एशियाटिक शेर नहीं है। उत्तर प्रदेश में एशियाटिक शेर या तो गोरखपुर चिड़ियाघर में हैं अथवा इटावा लायन सफारी में। गोरखपुर में मौजूद दोनों शेर पूरी तरह से स्वस्थ हैं। दोनों चिड़ियाघर का विशेष आकर्षण हैं। चिड़ियाघर आने वाले अधिकांश दर्शक तो पटौदी व मरियम को ही देखने आते हैं। यही वजह है कि उनके बाड़े के पास सर्वाधिक भीड़ होती है।


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