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World Disability Day: बचपन में कट गया हाथ फिर मां-बाप का छूटा साथ- गोरखपुर की दिव्यांग बेटी ने ऐसे बनाया मुकाम

World Disability Day 2022 दिव्यांग नीलू सिंह ने हौसले से मुकाम हासिल किया। उन्होंने परिस्थितियों से लड़ते हुए तरक्की की राह बनाई। पिता की मौत के बाद आसपास के लोगों ने साथ नहीं दिया तो एक हाथ से ही ठेले पर शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए घाट पर पहुंचीं।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Sat, 03 Dec 2022 01:26 PM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2022 01:26 PM (IST)
गोरखपुर की दिव्यांग नीलू सिंह। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। हिम्मत और हौसला हो तो कठिनाइयां राह नहीं रोक पाती हैं। गोरखनाथ की नीलू सिंह ने दिव्यांग होने के बाद भी कड़े परिश्रम व हौसले से न सिर्फ परिस्थतियों को मात दी बल्कि पढ़ाई पूरी की और अपने पैरों पर खड़ी हो गई हैं। दैनिक जागरण की मदद से उन्हें चार लाख रुपये मिले, जिससे उनकी शादी हुई। खुद से लड़ते हुए जब वह अपने पैरों पर खड़ी हुईं तो अपने जैसे लोगों की मदद के लिए भी कदम बढ़ाया। हर साल तीन दिसंबर को दिव्यांगों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है।

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पिता की मौत के बाद किसी ने नहीं बढ़ाया मदद को हाथ

नीलू सिंह का बायां हाथ बचपन में ही कट गया था। वह मूलत: पंजाब की रहने वाली है। उनके माता-पिता बड़हलगंज में रहते थे। पिता मैकेनिक थे। 2007 में माता और 2008 में पिता की मौत हो गई। पिता की मौत के बाद आसपास के लोगों ने उनकी मदद नहीं की। वह किसी तरह अपने पिता के पार्थिव शरीर को ठेले पर रखकर एक हाथ से खींचते हुए अंतिम संस्कार के लिए घाट की ओर चल पड़ीं। दैनिक जागरण ने उनकी फोटो सहित खबर प्रकाशित की। जिसे वेब संस्करण में पढ़कर कनाड़ा से कश्मीर सिंह जेंडा ने दैनिक जागरण के जरिये नीलू से संपर्क किया और उन्हें चार लाख रुपये की धनराशि प्रदान की।

गोरखनाथ मंदिर में हुई थी शादी

गुरुद्वारा जटाशंकर के जगनैन सिंह नीटू को इसकी सूचना मिली तो वह नीलू को लेकर गुरुद्वारा आए और बहन की तरह उनका पालन-पोषण करने लगे। कनाडा से मिले रुपये से उनकी गोरखनाथ के राजकमल से गोरखनाथ मंदिर में शादी कराई गई। उनकी शादी में तत्कालीन सांसद व अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा भी शामिल हुए।

औरों की भी कर रहीं मदद

जब उनके पिता का निधन हुआ तो उनकी उम्र 18 वर्ष थी और वह बीए की विद्यार्थी थीं। शादी के बाद उन्होंने पुन: पढ़ाई शुरू की। हिंदी से वह एमए कर चुकी हैं। इस समय राजनीति शास्त्र से एमए कर रही हैं। साथ ही अपने घर पर सिलाई करती हैं और दिव्यांग जन सेवा केंद्र, बाल विहार में कृत्रिम अंग बनाने का कार्य करती हैं। इसके अलावा दिव्यांगों को फार्म भरने, उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाने में भी मदद करती हैं।

सीआरसी में शुरू हुआ कौशल विकास का प्रशिक्षण

समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास पुनर्वास एवं दिव्यांग जन सशक्तीकरण केंद्र (सीआरसी) में इस साल से दिव्यांगों के लिए कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। 10 बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं। रेजिडेंट काआर्डिनेटर रवि कुमार ने बताया कि इसके बाद इन्हें फुटकर दुकानों नौकरी दिलाई जाएगी।


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