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उत्पादन से मार्केटिंग तक का काम महिलाओं के जिम्मे, तीन सौ महिलाएं बनीं आत्‍मनिर्भर

चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर मीनाक्षी ने महिलाओं को रोजगार देने की मुहिम शुरू की। लाकडाउन में जब अधिकतर लोगों के रोजगार का ठिकाना नहीं रहा उन्होंने 40 से अधिक महिलाओं को छह से आठ हजार रुपये हर महीने कमाने का अवसर दिया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 05:25 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 05:25 PM (IST)
उत्पादन से मार्केटिंग तक का काम महिलाओं के जिम्मे, तीन सौ महिलाएं बनीं आत्‍मनिर्भर
महिलाओं को प्रशिक्षण देने वाली मीनाक्षी राय की फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी मुसीबत आपका रास्ता नहीं रोक सकती। गोरखपुर की मीनाक्षी राय ने इसे चरितार्थ किया है। निजी जीवन की मुसीबतों से लड़ते हुए उन्होंंने पहले स्वयं को स्वावलंबी बनाया, उसके बाद अपने जैसी 300 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार की राह दिखाई। मीनाक्षी के प्रयासों से ये महिलाएं न केवल आत्मविश्वास से लबरेज हैं बल्कि परिवार की आर्थिक तंगी को दूर करने में भी सहयोग कर रही हैं।

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पहले सिलाई-कढ़ाई सीखी

इंडस्ट्रियल एस्टेट स्थित उद्योग भवन में महिलाओं को प्रशिक्षण देने वाली मीनाक्षी के स्वावलंबन की कहानी शुरू होती है बिहार से। कुछ पारिवारिक परेशानियों ने उनके निजी जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था लेकिन हार मानने की बजाय उन्होंने मुसीबतों से लडऩे का फैसला किया। जब कोई मार्ग नजर नहीं आया तो सिलाई-कढ़ाई सीखी और स्वावलंबी बनने का सफर शुरू कर दिया। खुद का हुनर निखरा तो साक्षी महिला स्वरोजगार एवं बाल उत्थान सेवा संस्थान बनाकर कुछ और महिलाओं को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। इस कार्य में समाज के लोगों से सहयोग भी मिला।

अब दे रहीं प्रशिक्षण

पारिवारिक स्थितियां कुछ सामान्य हुईं तो वह 2011 में गोरखपुर आ गईं और महिलाओं को प्रशिक्षण देने का काम शुरू कर दिया। यहीं वह सहकार भारती से भी जुड़ीं। चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर उन्होंने महिलाओं को रोजगार देने की मुहिम शुरू की। लाकडाउन में जब अधिकतर लोगों के रोजगार का ठिकाना नहीं रहा, उन्होंने 40 से अधिक महिलाओं को छह से आठ हजार रुपये हर महीने कमाने का अवसर दिया।

अब चल रहा स्कूल बैग, कुर्ता, टोपी और फैंसी लेडीज कुर्ती बनाने का काम

मास्क बनाने से शुरू हुआ उनका सफर आज स्कूल बैग, कुर्ता, टोपी, फैंसी लेडीज कुर्ती बनाने तक पहुंच गया है। काम की गुणवत्ता ऐसी है कि गाजियाबाद से भी आर्डर आए हैं। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से उन्होंने महिला समूहों का गठन करना शुरू किया। शहर क्षेत्र में 25 से अधिक महिला समूह बना चुकी हैंं। अलग-अलग समूहों को अचार, मुरब्बा, धूपबत्त्ती, दीया, गौरी गणेश की प्रतिमा, रेडीमेड गारमेंट बनाने का प्रशिक्षण दे रही हैं। उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक सब महिलाओं के हाथ है। समूह में जो महिलाएं अधिक सक्रिय हैं, उन्हें महत्वपूर्ण पद मिलता है। पटरी व्यवसायियों को मिलने वाले 10 हजार रुपये के लोन का लाभ भी उन्होंने महिलाओं को दिलाया है। 25 महिलाएं यह लोन लेकर अपना काम शुरू कर चुकी हैं। सहकार भारती में प्रदेश महिला प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल रहीं मीनाक्षी का कहना है कि वह हर महिला को आत्मनिर्भर देखना चाहती हैं।


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