तकनीक का कमाल, कामधेनु के गर्भ में पल रही कामधेनु Gorakhpur News
गाय की कोख से अब न तो बछड़े जन्म लेंगे न ही बेसहारा होकर खेत-सड़क पर भटकेंगे। बीते दो माह में जिले की 119 कामधेनु ने जो गर्भधारण किया है उससे कामधेनु के ही पैदा होने की गारंटी है।
गोरखपुर, जेएनएन। गाय की कोख से अब न तो बछड़े जन्म लेंगे न ही बेसहारा होकर खेत-सड़क पर भटकेंगे। अनुपयोगी माने जाने वाले इन गोवंश के खत्म होने से किसानों की फसल तो सुरक्षित होगी ही बछिया के रूप में पशुपालकों की नई पूंजी भी तैयार होगी। बीते दो माह में जिले की 119 कामधेनु ने जो गर्भधारण किया है, उससे कामधेनु के ही पैदा होने की गारंटी है।
वर्गीकृत वीर्य गर्भाधान योजना के तहत गोरखपुर समेत प्रदेश के सभी जनपदों में गोवंश के कृत्रिम गर्भाधान की शुरुआत हो चुकी है। इसके लिए सभी का लक्ष्य निर्धारित करते हुए शार्टेड सीमेन भी उपलब्ध करा दिया गया है। गोरखपुर जनपद में योजना की शुरुआत के सीमेन जून में उपलब्ध कराया गया। साहीवाल नस्ल के 615 सीमेन मिलने के बाद पहले महीने में कुल आठ कृत्रिम गर्भाधान हुए जबकि अगले ही महीने जुलाई में यह संख्या 56 हो गई। तीसरे अगस्त माह में कृत्रिम गर्भाधान कराने वाले पशुपालकों की संख्या 55 रही। विभाग इसको बढ़ाने पर जोर दे रहा है।
क्या है सेक्स सर्टेड सीमेन
सामान्यतया वीर्य में एक्स और वाई शुक्राणु 50-50 फीसद होते हैं। वाई शुक्राणुओं से नर जबकि एक्स शुक्राण से मादा जन्म लेती है। ऐसे में गाय या बछड़ा पैदा होने की संभावना 50-50 फीसद रहती है। सेक्स शॉर्टेड सीमेन तकनीकी के तहत लैब में वाई शुक्राणु को निकाल दिया जाता है, जिससे मादा बछिया पैदा होने की संभावना 90 फीसद से अधिक हो जाती है।
सफलता की गारंटी 90-95 फीसदी
पशुपालन विभाग के चिकित्सकों और विशेषज्ञों का कहना है कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सेक्स सॉर्टेड सीमेन से अब तक गायों ने 581 बच्चों को जन्म दिया, जिनमें 522 बछिया हैं। यानी उनकी पैदाइश का आंकड़ा सफल रूप से 90 फीसदी के आसपास है। कुछ जगहों पर ये 92 फीसद से अधिक है।
पशुपालकों को देने होंगे 300 रुपए
यह योजना देसी नस्ल की गायों पर लागू होगी, जिसमें सहीवाल, गीर, हरियाणवी, थारपारकर और गंगातिरी शामिल हैं। योजना का लाभ पाने के लिए पशु पालकों को 300 रुपए देने पड़ेंगे। इस शुल्क के बदले में गाय को वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा। अगर एक बार में गर्भ धारण नहीं होता है तो किसानों को 300 रुपए में यह दोबारा कराना पड़ेगा। हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है।
योजना से ये होगा लाभ
- किसानों को फसल नुकसान करने वाले छुट्टा पशुओं से निजात मिलेगी।
- बेसहारा गोवंश के संरक्षण में होने वाला खर्च बचेगा।
- जनपद के दुग्ध उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।
- पशुपालकों और किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी।
- छुट्टा पशुओं से होने वाले सड़क हादसे कम होंगे।
पशुपालन के क्षेत्र में वर्गीकृत वीर्य योजना नई क्रांति है। किसानों की आय दोगुनी करने में यह सबसे कारगर और अहम हथियार साबित होगा। अधिक से अधिक लोग इससे लाभान्वित हों इसकी कोशिश जारी है। - डॉ. डीके शर्मा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी