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विपिन ने खुद जीती टीबी से जंग, दूसरों में भर रहे हौसला

विपिन 2016 में जटिल टीबी की चपेट में आ गए। दो साल तक इलाज के दौरान काफी लोग उनसे दूरी बना लिए थे। समाज से कट गए थे। जिदगी में अकेलापन छा गया था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 07:00 AM (IST)
विपिन ने खुद जीती टीबी से जंग, दूसरों में भर रहे हौसला
विपिन ने खुद जीती टीबी से जंग, दूसरों में भर रहे हौसला

महराजगंज: टीबी से ग्रसित महराजगंज नौतनवा क्षेत्र के संपतिहा निवासी विपिन त्रिपाठी ने दो वर्ष के इलाज के बाद बीमारी से जंग जीत ली। अब वह अन्य रोगियों के लिए संबल बनकर खड़े हैं। करीब 50 मरीजों का विभाग से संपर्क करा चुकेहैं। इस कार्य के लिए जिला क्षय रोग विभाग ने इन्हें टीबी चैंपियन के रूप में घोषित किया है।

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विपिन 2016 में जटिल टीबी की चपेट में आ गए। दो साल तक इलाज के दौरान काफी लोग उनसे दूरी बना लिए थे। समाज से कट गए थे। जिदगी में अकेलापन छा गया था। इस दरम्यान सीनियर ट्रीटमेंट लेबोरेटरी सुपरवाइजर संदीप पांडेय, सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर राघवेंद्र मणि त्रिपाठी हौसला देते रहे। लोगों के व्यवहार से दुखी विपिन ने संकल्प लिया कि वह टीबी रोगियों के साथ खड़े होंगे और प्रयास करेंगे कि कोई इस बीमारी की चपेट में न आए। नवंबर 2018 से इसकी मुहिम छेड़ी है। गांव-गांव गोष्ठी कर लोगों को लक्षण और उपचार का तरीका बता जागरूक कर रहें हैं। संदिग्ध मरीज पाए जाने पर उन्हें अस्पताल तक पहुंचा रहे हैं। इनका बचपन भी संघर्षो से भरा रहा। पिता की मौत के बाद घर की जिम्मेदारी आ गई। वह स्वास्थ विभाग के पल्स पोलियो सहित कई कार्यक्रमों के जरिये अपने को जोड़े रखे और इससे मिलने वाले मानदेय से पढाई का खर्च भी निकालते रहे। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. विवेक श्रीवास्तव ने कहा कि क्षय रोग उन्मूलन के अभियान में विपिन त्रिपाठी का यह कार्य सराहनीय है। इनसे प्रेरणा लेकर समाज के प्रत्येक नागरिकों को आगे आना चाहिए, ताकि टीबी का समूल नाश किया जा सके।

तब बनाते थे दूरी, अब करते हैं सराहना

बीमारी के दौरान लोग विपिन से दूरी बनाते थे। इनके द्वारा चलाए गए अभियान के बाद अब सराहना करने से नहीं थक रहे। अब तक संपतिहा, छितरापार, बरवांखुर्द, कोल्हुई, पैसिया बाबू सहित करीब 40 गांवों में अभियान चला चुके हैं। उन्होंने बताया कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा। जो मैं झेला हूं, वह किसी और को नहीं झेलना दूंगा।


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