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Cyber Crime: इंटरनेट मीडिया पर महिलाएं साफ्ट टार्गेट- बरतें यह सावधानी

साइबर अपराध में 50 फीसद मामले धन निकासी के हैं। अपराधी लोगों के पास ओटीपी लिंक क्यूआर कोड रिमोट कंट्रोल एप लोन एप फोन पे व गूगल पे पर रुपये की डिमांड भेजकर साइबर ठगी कर रहे हैं। आनलाइन ठगी का शिकार होने वाले 90 फीसद संख्या पुरुषों की हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 11:37 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 10:45 PM (IST)
Cyber Crime: इंटरनेट मीडिया पर महिलाएं साफ्ट टार्गेट- बरतें यह सावधानी
इंटरनेट मीडिया पर महिलाएं ठगी का शिकार हो रही हैं। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। घर के बिजली के बिल भरने से लेकर, एक खाते से दूसरे खाते में रुपया ट्रांसफर तक की व्यवस्था को मल्टीमीडिया मोबाइल व इंटरनेट ने सहज किया है। इसके उपयोग के साथ-साथ साइबर फ्राड के मामले भी बढऩे शुरू हो गए हैं। जालसाजों ने पिछले एक वर्ष में 50 लाख रुपये से अधिक की ठगी की है। पुलिस का कहना है कि लोग टेक्नालाजी का उपयोग करें, यह अच्छी बात है, लेकिन उसके साथ-साथ सतर्कता भी बरतें।

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50 फीसद मामले आनलाइन धन निकासी के

साइबर अपराध में 50 फीसद मामले धन निकासी के हैं। साइबर अपराधी लोगों के पास ओटीपी, लिंक, क्यूआर कोड, रिमोट कंट्रोल एप, लोन एप, फोन पे व गूगल पे पर रुपये की डिमांड भेजकर साइबर ठगी कर रहे हैं। आनलाइन ठगी का शिकार होने वाले 90 फीसद संख्या पुरुषों की हैं।

20 फीसद मामले एटीएम क्लोनिंग के

जिले में रोजाना तीन से चार साइबर ठगी की शिकायतें आ रही हैं। इसमें जालसाज स्कैनर के जरिये एटीएम का क्लोन तैयार कर ले रहा है। रुपये निकालने के दौरान वह चतुराई के साथ पिन भी देख लेता है। बाद में वह एटीएम क्लोन के जरिये रुपये निकालता है। पुलिस के पास आने वाले 20 फीसद मामले एटीएम क्लोनिंग से संबंधित हैं।

इंटरनेट मीडिया पर महिलाएं साफ्ट टार्गेट

साइबर ठग इंटरनेट मीडिया पर भी लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। साइबर अपराध में 30 फीसद अपराध इसी तरह के हैं। इसमें महिलाएं जालसाजों का साफ्ट टार्गेट हैं। इसमें कुछ लोगों का पीछा करके उनकी फेक आइडी तैयार करते हैं। उनके मित्रों को जानकारी लेते हैं और बाद में फेक आइडी के जरिये वह ठगी करते हैं। फेसबुक के जरिये जालसाज लोगों से अपनी दोस्ती करते हैं। बाद में वाट्सएप व अन्य माध्यमों से उनसे लाइव चैटिंग करते हैं और बाद में यह उनका वीडियो तैयार करके उन्हें ब्लैकमेल करते हैं। इंटरनेट मीडिया पर जालसाजी का शिकार हुए लोगों में 60 फीसदी संख्या महिलाओं की है।

इस पर दें ध्यान

फेसबुक व अन्य इंटरनेटमीडिया का प्रयोग करने के दौरान कोई रुपये मांगे तो आसानी से विश्वास न करें। रुपये ट्रांसफर करते समय पर्सनली बात जरूर करें। फेसबुक एकाउंट वेरीफाई करें।

जिओ, वोडाफोन, एयरटेल, जैसी मोबाइल कंपनियों के नाम पर मुफ्त इंटरनेट के नाम पर झांसे में न आएं।

कोविड-19 का मेडिकल टेस्ट या आनलाइन सामान खरीदने से जुड़े लिंक और गूगल से मिले नंबर पर भरोसा ना करें।

कहीं भी रुपये प्राप्त करने के लिए किसी भी क्यूआर कोड लिंक पर क्लिक ना करें और ना ही पे के बटन दबाएं।

किसी के कहने पर मोबाइल पर एनी डेस्क, टीम व्यूवर, क्विक सपोर्ट को डाउनलोन ना करें।

गूगल पर सर्च किए गए कस्टमर केयर नंबर का इस्तेमाल ना करें। ओरीजिनल वेबसाइट पर जाकर ही कस्टमर केयर नंबर या ईमेल का प्रयोग करें।

साइबर अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है। पुलिस लोगों को जागरूक भी कर रही है। इधर मिशन शक्ति के तहत भी महिलाओं व बालिकाओं को जागरूक किया जा रहा है। उसमें साइबर फ्राड से बचाव की भी जानकारियों दी जा रही हैं। इसके अलावा स्कूल, कालेजों में भी कार्यशाला के माध्यम से उन्हें जागरूक किया जा रहा है। - डा. एमपी सिंह, एसपी क्राइम। 


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