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राखी के धागों में भाई-बहन के प्यार के साथ 'रोजगार का श्रृंगार'

कुशीनगर में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं देसी राखियों से मेक इन इंडिया दे रहीं बल इस कार्य से उन्हें होगी आमदनी होली के दौरान चिप्स पापड़ व गुलाल बनाकर प्रशस्ति पत्र पा चुका है समूह इस बार 10 हजार राखी निर्माण का दिया गया है लक्ष्य महिलाएं अपने कार्य में जुट गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 04:00 AM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 04:00 AM (IST)
राखी के धागों में भाई-बहन के प्यार के साथ 'रोजगार का श्रृंगार'

कुशीनगर : रक्षाबंधन पर बाजार में चीनी राखियों का ढेर शायद इस बार देखने को न मिले। कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों के मन में चीन के प्रति काफी आक्रोश है तो व्यापारियों का भी चीनी उत्पाद से मोहभंग हो गया है। दुदही विकास खंड के सरगटिया गांव की जय मां गायत्री महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी तैयार हैं।

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रक्षाबंधन पर स्वयं सहायता समूह की ओर से निर्मित रंग-बिरंगी राखियों से बाजार सजेंगे। मेक इन इंडिया को मजबूती देने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की ओर से समूह की महिलाओं को राखी बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। यहां तैयार होने वाली इन देसी राखियों को बाजार उपलब्ध कराने की कवायद अभी से शुरू है। अध्यक्ष अर्पणा राय के नेतृत्व में समूह की गेनिया देवी, रंभा देवी, अनीता देवी, बच्ची देवी, राजकुमारी देवी, कुमरिया देवी, सुगांती देवी, सकांती देवी, कैलाशी देवी, तारा देवी व गीता देवी सहित 12 महिलाएं ब्यूटी पार्लर, चिप्स, पापड़, सिलाई, कढाई, अगरबत्ती, गुलाल आदि रोजगारपरक कार्य कर रही हैं। होली में चिप्स, पापड़ व जैविक गुलाल बनाने पर एसडीएम ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। महिलाओं की काबिलियत की पहचान कर इस बार इन्हें राखी बनाने का भी कार्य दिया गया। अर्पणा ने बताया कि कच्चा माल गोरखपुर से मंगाया गया है। 10 से 25 रुपये तक की लागत में बनने वाली राखियां बाजार में आसानी से 20 से 50 रुपये में बिक जाएंगी। दस हजार राखियां निर्मित करने का लक्ष्य पूरा होने की ओर है। 15 अगस्त से महिलाएं स्टाल लगाकर स्वनिर्मित राखियां बेचेंगी। प्राप्त लाभ को समूह की सभी महिलाओं में बांटा जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ब्लाक प्रबंधक कमलेश ओझा ने बताया कि समूह की महिलाओं को राखी बनाने के लिए प्रेरित किया गया था। इस तरह के रोजगार परक कार्य से मिशन का उद्देश्य पूरा हो रहा है।


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