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युवा क्‍यों दे रहे जान, कारण जानकर हैरान हो जाएंगे आप Gorakhpur News

युवाओं में खुदकुशी करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। जिंदगी से हताश युवा फंदा लगाकर जान दे रहे हैं। रात को कमरे में सोने जाते समय ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। बस्‍ती जिले में पिछले 10 दिन के अंदर छह लोगों ने फंदा लगाकर जान दी।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 09:50 AM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 09:50 AM (IST)
तनाव के कारण युवा दे रहे जान। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन : युवाओं में खुदकुशी करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। जिंदगी से हताश युवा फंदा लगाकर जान दे रहे हैं। रात को कमरे में सोने जाते समय ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। बस्‍ती जिले में पिछले 10 दिन के अंदर छह लोगों ने फंदा लगाकर जान दी। यह तस्वीर निश्चित तौर पर चौंकाने वाली है। मार्च से जिले में अचानक खुदकुशी की घटनाओं का ग्राफ बढ़ गया। आम तौर पर एक माह में पांच से छह खुदकुशी की घटनाएं सामने आती थीं, मगर इन दिनों तेजी से वृद्धि हुई है।

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मार्च में 18 लोगों ने दी जान

मार्च में 18 लोगों ने खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। इनमें 15 ऐसे युवा थे, जिन्होंने फंदा लगाकर जान दी। यही हाल अप्रैल का भी है। तीन अप्रैल को कलवारी के दोफड़ा गांव में एक 20 वर्षीय युवती ने पेड़ से लटककर अपनी जान दे दी तो अगले ही दिन रुधौली के कोहरा गांव में विवाहिता ने पंखे से फंदा लगा लिया। यह सिलसिला पांच अप्रैल को भी जारी रहा। दुबौलिया थाना क्षेत्र के बानेपुर गांव में 20 वर्षीय युवक ने टिन शेड में फंदा लगा लिया। छह अप्रैल को रुधौली थाना क्षेत्र के गांधीनगर वार्ड में 38 वर्षीय महिला का शव पंखे से लटका मिला। नौ अप्रैल को दुबौलिया के भरुकहवा गांव में एक विवाहिता ने जहरीला पदार्थ खाकर जान दे दी। वहीं 11 अप्रैल को कैंसर से जूझ रहे मुंडेरवा थाना क्षेत्र के दिकतौली गांव निवासी 35 वर्षीय युवक ने कमरे के अंदर फंदा लगा लिया। 14 अप्रैल की सुबह कप्तानगंज थाना क्षेत्र के महुलानी खुर्द गांव में 20 वर्षीय युवती का शव छत की कुंडी से लटका मिला।

मानसिक तनाव के कारण युवा कर रहे खुदकुशी

मनोरोग विशेषज्ञ डा. मलिक अकमालुद्दीन ने कहा कि खुदकुशी की बढ़ती मनोवृत्ति का कारण मानसिक तनाव है। युवा वर्ग इस भाग दौड़ एवं प्रतिस्पर्धा की जिंदगी में आकांक्षाओं को बहुत जल्द पूरा करना चाहते हैं। असफल होने पर वे गलत कदम उठा लेते हैं। युवाओं के असफल होने पर उन्हें डांटने की बजाय प्रोत्साहित करने की जरूरत है।


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