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साप्‍ताहिक कालम चौपाल: यहां तो मौत के बाद की यात्रा महंगी Gorakhpur News

गोरखपुर के साप्‍ताहिक कालम में इस बार पुलिस विभाग को आधार बनाया गया है। पुलिस विभाग की कार्य प्रणाली अधिकारी कर्मचारी गोरखपुर में कोरोना कर्फ्यू पर आधारित रिपोर्ट काफी दिलचस्‍प है। आप भी पढ़ें गोरखपुर से जितेंद्र पांडेय का साप्‍ताहिक कालम चौपाल---

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 05:03 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 05:03 PM (IST)
साप्‍ताहिक कालम चौपाल: यहां तो मौत के बाद की यात्रा महंगी Gorakhpur News
वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, जितेंद्र पांडेय। चंदू चाचा के चाची की तबियत बहुत खराब थी। सांस लेने में तकलीफ और खांसी भी आ रही थी। बुखार से बदन तप रहा था। दर्द से बदन टूट रहा था। उन्होंने अपनी समस्या एक एंबुलेंस वाले से बताई। उसने चाचा से कहा कि क्यों इतना घुमा फिरा रहे हो। सीधे क्यों नहीं कहते कि कोरोना है। मेडिकल कालेज ले जाना होगा। तीन हजार रुपये लगेंगे। किसी तरह से चाचा ने रुपयों की व्यवस्था की। मरीज को लेकर मेडिकल कालेज आ गए। दो दिन तक उपचार चला। उसके बाद मरीज की मौत हो गई। चाचा ने फिर उसी एंबुलेंस चालक से संपर्क साधा कि भाई, चाची की मौत हो गई। एंबुलेंस वाले ने सीधे कहा कि अब छह हजार से छह रुपये कम नहीं लूंगा। चाचा हर किसी को नसीहत देते घूम रहे हैं कि भाई यहां मौत के बाद की यात्रा महंगी है। मास्क लगाओ। दो गज दूरी अपनाओ।

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गब्बर नहीं हमने तो सन्नी व युवराज पकड़ा है

पंजाब के शूटर सतनाम व राजवीर पर डीआइजी ने शोले के गब्बर जितना ईनाम रखा था। दोनों को पकड़कर बरेली की पुलिस फूल पिचक रही थी। यहां तो अपने शूरमाओं का तो पूरा चेहरा ही उतरा हुआ था। अपने ही लोग ताने मारने लगे थे कि कितनी भी मेहनत क्यों न कर लो पचास-पचास हजार के ईनामिया को तो बरेली पुलिस ने पकड़ा है। लाईन से लेकर थाने तक बस यही चर्चा थी कि गब्बर तो बरेली पुलिस के हाथ आ गया। अपने शूरमा भला किस-किस को सफाई दें कि सतनाम को पहले तो गोरखपुर पुलिस ने ही पकड़ा था। अब वह पंजाब पुलिस को चकमा देकर भाग निकला तो इसमें हमारी क्या गलती। चूक पंजाब पुलिस की, किरकिरी हमारी। फिलहाल दो दिन बाद ही बाजी पलट गई। शाम होते ही साहब को फोन आया कि हमने गब्बर तो नहीं, बल्कि लखटके सन्नी व युवराज को पकड़ा है।

अगली बार मतगणना से अधिक आरओ पर नजर रखना

उत्तर के दो उम्मीदवारों ने इस बार चुनाव को लेकर रात दिन एक कर दिया था। मतगणना के दिन जैसे ही उन्हें सुनाई पड़ता रामप्रसाद बूथ नंबर एक से 150 मतों से आगे चल रहे हैं, दिल में गुब्बारे फूटने लगते। साथी सोमई के भी खुशी का ठिकाना न रहा। मतपेटिका खुली तो अपने बैलेट के सामने दूसरों की संख्या न के बराबर दिखी। आधी काउंङ्क्षटग में ही दोनों करीब हजार-हजार मतों से आगे हो गए। दोनों ने एक दूसरे को जीत की बधाई भी दे डाली। दूसरे दिन दोनों जीत का प्रमाण पत्र लेने के लिए सुबह से तैयारी कर रहे थे, कि पता चला कि प्रमाण पत्र तो किसी और मिल गया। भारी पंचायत, मारपीट के बाद किसी तरह से उन्हें जीत का प्रमाण पत्र मिला। अब दोनों के समर्थक एक दूसरे से कह रहे हैं कि मतगणना से अधिक जरूरी आरओ(रिटर्निंग अफसर) पर नजर रखना है।

आपकी रक्षा मै करूंगा बस मेरा प्रमाण पत्र दिलवा दीजिए

चुनाव परिणाम आने के बाद दक्षिण के दो गांवों के लोग थोड़े असमंजस में हैं । माह भर में पूरा मंजर ही बदल गया है। प्रत्याशी पहले कहते नहीं थक रहे थे कि आप अपने सम्मान की ङ्क्षचता भूल जाइए। मेरे रहते आपका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है। आपको जहां भी मदद की जरूरत पड़ेगी, वहां मैं सुरक्षा कवच की तरह आपके साथ खड़ा रहूंगा। चुनाव बीता क्या, पता चला कि बीडीसी के जीत का प्रमाण पत्र ही कोई छीन ले गया है। सिर्फ प्रमाण पत्र ही नहीं छीना है, बल्कि मारा पीटा भी है। दोनों बीडीसी सदस्य तब इधर-उधर लोगों से गिड़गिड़ा रहे हैं कि हमें हमारा प्रमाण पत्र दिलवा दीजिए। बिना इसके तो मैं ब्लाक प्रमुख का चुनात तक नहीं लड़ सकूंगा। सारी मेहनत बेकार हो जाएगी। दूसरे सदस्य ने कहा कि आपको प्रमुखी की पड़ी है, मैं तो वोट देने से वंचित रह जाऊंगा।


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