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यायावर : साहब दवा की गोली नहीं है पुलिसिंग Gorakhpur News

इस बार के यायावर कॉल में पढ़ें पुलिसिंग पर। पुलिस की कार्य प्रणाली को उजागर करने वाली रिपोर्ट को कालम के माध्‍यम से पाठकों के समक्ष पेश किया गया है। गोरखपुर से कौशल त्रिपाठी का साप्‍ताहिक कॉलम यायावर इसी पर आधारित है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 04:50 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 04:50 PM (IST)
यायावर : साहब दवा की गोली नहीं है पुलिसिंग Gorakhpur News
गोरखपुर में सुबह की सड़क जाम का दृश्‍य।

कौशल त्रिपाठी, जेएनएन। राजीव नगर के सुखराम चाचा बेटे राजेश को सलाह दे रहे थे कि पढ़ाई के साथ कभी-कभी दुकान भी देख लिया करो। इससे दुनियादारी की समझ होती है। सिर्फ किताबी ज्ञान से कुछ नहीं होता। चाचा ने पूछा कि बड़े होकर क्या बनना चाहते हो, तो राजेश ने कहा पुलिस अफसर। बड़े मजे की नौकरी होती है। जब मन किया तब आफिस गए और जनता से मिले। नहीं तो दारोगा बाहर से ही लोगों को बोल देगा, साहब अभी व्यस्त हैं। चाचा बोले, पुलिसिंग दवा की गोली नहीं है। एक घंटा सुबह आफिस में बैठे और एक घंटा शाम को। इससे क्राइम कंट्रोल नहीं होता। खाकी वाले एक साहब किताबें पढ़कर क्राइम कंट्रोल कर रहे थे। रात में समय पर सोते और दिन में लोगों से कभी-कभार मिलते। नीचे तक संदेश गूंज गया कि साहब ध्यान देने वाले नहीं हैं। प्रतिफल गोलियां चलने लगीं, चाकूबाजी संग संगीन वारदातें बढ़ गईं।

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संभलिए, नहीं तो डूब जाएंगे

रामगढ़ ताल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए शासन हर संभव उपाय कर रहा है। ताल में नौकायन भी उसी की एक कड़ी है, लेकिन देवरिया बाईपास से नौकायन केंद्र पहुंचना खतरनाक हो गया है। नौकायन के समीप करीब 50 मीटर के दायरे में सड़क ही तालाब बन गई है।  संभलकर वाहन नहीं चलाएंगे, तो डूबना तय है और वाहन सहित डूब गए तो जान भी जा सकती है, क्योंकि डूबने वालों को बचाने के लिए यहां उचित प्रबंध नहीं हैं। फिर भी जान जोखिम में डालकर सैकड़ों लोग इस मार्ग का उपयोग कर रहे हैं। चहुंओर चर्चा हो रही है कि कार्यदायी संस्था ने देवरिया बाईपास से नौकायन स्थल पहुंचने वालों को तैराकी का आनंद दिलाने के लिए 50 मीटर सड़क को अधूरा छोड़ रखा है। लोग वाहन से आएं या पैदल, कपड़े उतारें और तैरकर नौकायन स्थल तक पहुंचे, फिर नौका से सैर करें।

मुख्य सड़क है या बस स्टैंड

विश्वविद्यालय चौराहे से मोहद्दीपुर जाने वाली शहर की मुख्य सड़क बस स्टैंड में तब्दील हो गई है। दो विभागों के जिम्मेदारों की शह पर इस मुख्य सड़क के दोनों तरफ सुबह से देर रात तक प्राइवेट बसें खड़ी रहती हैं। इसके चलते प्रतिदिन जाम लगता रहता है। चौराहे पर खड़ी यातायात पुलिस दो पहिया व आटो का प्रतिदिन चालान करती है, लेकिन सड़क को अवैध स्टैंड बनाने वाली निजी बसों का चालान काटने की बात कौन कहे, जाम लगने पर इन्हें हटाती तक नहीं। इसकी वजह भी आप समझ सकते हैं। इस अवैध स्टैंड के कारण हर माह रोडवेज को लाखों रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है। लोग बताते हैं कि मार्ग पर खड़ी बसों को तब हटाया जाता है, जब किसी अति विशिष्ट का शहर में आगमन होता है। उनके जाते ही बसें फिर अवैध स्टैंड पर खड़ी हो जाती हैं और जाम शुरू हो जाता है।

सिर्फ धमकी दी या देखा भी

सत्ता पक्ष के एक नेताजी को अपने पद का गरूर है, तो अपने दारोगा जी भी बर्दाश्त करने वाले नहीं हैं। आखिर उनके पास भी जिले के उत्तरी क्षेत्र की एक चौकी का प्रभार है। दर्जनों लोग उन्हें सलाम ठोकते हैं। दो दिन पहले की बात है, मारपीट के एक मामले में पैरवी लेकर नेताजी चौकी पर पहुंच गए। उन्होंने अपने पक्ष के हिसाब से काम करने के लिए कहा, तो दारोगा को नेताजी का दबाव बनाना खल गया। दारोगा ने मना कर दिया, तो बात बढ़ गई। आधा घंटा चले विवाद के दौरान दोनों ने एक-दूसरे को देख लेने की चेतावनी दे डाली। अब अपने खेदू चाचा परेशान हैं कि आधा घंटा इन्होंने किया क्या? हो सकता है कि कुछ दूसरे ढंग से देखने की बात कर रहे हों। दो दिन बीत चुके हैं। पता नहीं चल पा रहा है कि दोनों ने एक दूसरे को देखा कि नहीं।


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