परिसर से : साहब की मेहनत के सभी हैं कायल Gorakhpur News
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प्रभात कुमार पाठक, गोरखपुर। शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर के दूसरे बड़े साहब ने कोरोना संकट में भी नियमित कार्यालय आकर सबको अपना कायल बना दिया है। लॉकडाउन के दौरान सभी मौका पाकर अपनों के बीच पहुंचने में सफल हो गए। यहां तक कि बड़े वाले साहब भी राजधानी तक जा पहुंचे थे, लेकिन यह साहब परिसर वाले आवास पर डटे रहे। अप्रैल में जब शासन ने शैक्षिक संस्थानों को खोलने का आदेश दिया, तो इतनी बड़ी संस्था में यह इकलौते अधिकारी थे, जो निर्धारित समय पर कार्यालय में बैठ जाते और अपना काम निपटाते थे। इसी कारण इन दिनों यह पूरे परिसर में चर्चा में हैं। इनकी बड़ी खासियत यह है कि जिस समय लोग कोरोना के चलते घरों में कैद थे, उस समय भी यह बिना किसी तनाव के कार्यालय आते और अपनी जिम्मेदारियों का निवर्हन करते रहे। विभागीय कार्य के प्रति उनका समर्पण अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए नजीर बन गया है।
नेता बनकर उभर रहे छोटे गुरुजी
शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर के छोटे गुरुजी अपने साथियों का नेतृत्व कर खासे चर्चा में हैं। कनिष्ठ से वरिष्ठ तक सभी उनके कार्यों की चर्चा कर रहे हैं। पिछले दिनों एक शिक्षक विधायक को ज्ञापन देकर उन्होंने लंबे समय से ठंडे बस्ते में पड़ा काम क्या कराया, सभी साथी शिक्षक उनके मुरीद हो गए। ठंडे बस्ते वाले काम को अंजाम तक पहुंचाकर उन्होंने साबित कर दिया कि साथियों की समस्याओं का समाधान कराने के लिए चाहे उन्हें कितना भी परिश्रम क्यों न करना पड़े, वह पीछे नहीं हटेंगे। इससे पहले भी छोटे गुरुजी एक संगठन का नेतृत्व कर चुके हैं। पहले अपने गीतों से और फिर अपने साथी शिक्षकों की मांगों को पूरा कराकर इस समय छोटे गुरुजी सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। वह जिस किसी विभाग में जाते हैं, चर्चा बस उन्हीं की होती है। साथी उनकी नेतृत्व क्षमता की तारीफ करते नहीं थकते।
ओट में छिपकर चलाते हैं तीर
शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर में एक गुरुजी सभी लोगों से व्यक्तिगत संबंधों के लिए जाने जाते हैं। इस कला में उन्हें महारत हासिल है। अपने इसी कौशल की बदौलत सरकार चाहे जिसकी हो, वह कोई न कोई महत्वपूर्ण ओहदा हासिल कर ही लेते हैं। सार्वजनिक तौर पर विवादों से दूर रहने के कारण वह कभी प्रकाश में नहीं आते। जो काम करना होता है, पर्दे के पीछे से ही कर देते हैं। एक दिन हुआ यूं कि एक गुरुजी ने बड़े गर्व से बताया कि देखिये मेरी तारीफ में उनका पर्सनल मैसेज मेरे पास आता है। तभी पास खड़े दूसरे गुरुजी तपाक से बोल पड़े, अरे भाई आपको ज्यादा खुशफहमी पालने की जरूरत नहीं है। एक बात मैं आपको उनके बारे में बता देता हूं। वो तारीफ लेते तो सार्वजनिक हैं, लेकिन करते चुपके से हैं। ओट में छिपकर तीर चलाने की कला सीखनी हो तो कोई उनसे सीखे।
कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना
इन दिनों गुरुजी लाइव भाषण कराकर सुर्खियों में हैं। लॉकडाउन के समय से ही वह लगातार ऑनलाइन भाषण आयोजित कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी लंबी-चौड़ी एक टीम भी तैयार कर रखी है। इसके पीछे उनका मकसद अपना काम करने के साथ ही खुद को मजबूत करना है। सिर्फ एक जगह भाषण कराने से गुरुजी संतुष्ट नहीं हो पा रहे थे, तो उन्होंने लाइव भाषण का नया प्लेटफार्म ही तैयार कर डाला। फिर क्या था, उनके साथ-साथ शिष्य भी भाषण देकर आनंद उठाने लगे। अपनी ऑनलाइन भाषण कला का प्रयोग कर इन दिनों गुरुजी न सिर्फ चर्चा में हैं, बल्कि ऊंचे पदों पर बैठे लोगों से अपने संबंध भी बेहतर बना रहे हैं। हालांकि गुरुजी के इन कार्यों से एक बात तो साफ है कि भाषण कराना तो बस एक बहाना है, दरअसल निशाना उन्हें कहीं और लगाना है। गुरुजी कोई बड़ा लक्ष्य साधने की तैयारी कर रहे हैं।