साप्ताहिक कालम बिंबप्रतिबिंब : झूठे दावों के उस्ताद हैं, तालीम चाहिए? Gorakhpur News
इंतजाम में लाख खामियां हों मगर ताल ठोक कर उसे बेहतर बताने का अगर किसी में दम है तो वह है मेडिकल कालेज महकमा। वहां के जिम्मेदार झूठे दावों के उस्ताद जो हो चुके हैं। कोविड काल में उन्होंने खासतौर से इसे लेकर काबिलियत भी हासिल कर ली है।
गोरखपुर, डा.राकेश राय। इंतजाम में लाख खामियां हों, मगर ताल ठोक कर उसे बेहतर बताने का अगर किसी में दम है तो वह है मेडिकल कालेज महकमा। वहां के जिम्मेदार झूठे दावों के उस्ताद जो हो चुके हैं। कोविड काल में उन्होंने खासतौर से इसे लेकर काबिलियत भी हासिल कर ली है। अब तो उन जिम्मेदारों से इसकी तालीम भी ली जा सकती है। बीते दिनों की एक घटना से इस पर बकायदा मुहर भी लग गई। हुआ यूं कि शहर के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति इलाज के लिए कालेज के कोविड वार्ड में भर्ती हुए। बदइंतजामी, अराजकता, भ्रष्टाचार, दुव्र्यवहार, क्या कुछ नहीं झेला उन्होंने वहां। अंत में जान भी चली गई। व्यवस्था से आहत बेटे ने जब कालेज की बदइंतजामी पर सवाल उठाया तो मुखिया की ओर से जो बयान आया, उसमें उनके झूठे दावों के उस्ताद होने की झलक मिली। उन्होंने पहले संवेदनहीनता की चादर ओढ़ी फिर बोले, हमारी व्यवस्था फुलप्रूफ है।
लोहा गर्म दिखा तो जड़ दिया हथौड़ा
शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर में शिक्षक यूनियन चुनाव को लेकर दो गुटों के बीच की तनातनी एक आयोजन के दौरान फिर सामने आ गई। पूर्व अध्यक्ष और निवर्तमान अध्यक्ष मजाक-मजाक में आमने-सामने हो गए। हुआ यूं कि एक शिक्षक ने पूर्व अध्यक्ष से निवर्तमान अध्यक्ष का नाम लेकर चुटकी ली कि वह कह रहे हैं, पूर्व अध्यक्ष बड़के नेता हो गए हैं, नमस्कार तक नहीं करते। फिर तो पूर्व अध्यक्ष की त्योरियां चढ़ गईं और लड़ाई के मूड में आ गए। यहां तक कह डाला कि तीन साल से पद पर कब्जा जमाए बैठे हैं और नमस्कार की बात करते हैं। यह सुनकर निवर्तमान अध्यक्ष का पारा भी चढऩे लगा तो साथी शिक्षकों ने बीच-बचाव कर मामले को शांत किया। बाद में एक शिक्षक मजाकिया लहजे में कहते नजर आए कि पूर्व अध्यक्ष के अंदर चुनाव को लेकर आग धधक रही थी। लोहा गर्म दिखा तो जड़ दिया हथौड़ा।
आफलाइन बीमारी में आनलाइन क्लास
कोरोना महामारी के दौर में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह आनलाइन होती नजर आ रही है। कई शैक्षिक संस्थानों ने इस माध्यम में पठन-पाठन को जारी रखने का स्थायी हल खोजना भी शुरू कर दिया है। शिक्षा का सबसे बड़ा मंदिर भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। यहां के गुरुजी लोग इसे लेकर तरह-तरह के प्रयोग भी कर रहे हैं, लेकिन सभी को यह व्यवस्था भा रही हो, ऐसा नहीं है। बीते दिनों जब संस्था के एक लोकप्रिय गुरुजी की कोरोना ने ङ्क्षजदगी ले ली तो कोरोना संक्रमित होने के बावजूद आनलाइन क्लास लेने वाले एक गुरुजी की इस नई व्यवस्था को लेकर नाराजगी उभर आई। सवालिया लहजे में बोले, बीमारी आफलाइन अटैक कर रही और हमसे आनलाइन पढ़ाई की उम्मीद की जा रही। ऐसे में कोरोना से जंग और अध्ययन-अध्यापन में संतुलन बनाना संभव नहीं। जबतक चलेगा चलाऊंगा, नहीं तो जवाब दे दूंगा। जान है तो जहान है भैया।
कोरोना क माई, इनके कुछ ना बुझाई
कोरोना वायरस ने भले ही बड़े-बड़े लोगों को धराशायी कर दिया है, लेकिन रुस्तमपुर ढाले पर सब्जी बेचने वाली बूढ़ी चाची के सामने उसने हथियार डाल दिए हैं। कोरोना ने उनके इर्द-गिर्द कई चक्कर लगाए पर जब दाल नहीं गली तो पनाह मांग ली। चाची का यह बखान उनके बगल में ठेला लगाने वाला एक युवक बड़े ही मजाकिया लहजे में कर रहा था। बात रोचक लगी तो सवालों से आगे बढ़ी, फिर तो वह युवक चाची के शान में कसीदे पढऩे लगा। अरे भैया! केतनो कोरोना का बयारि बहल बकिर चाची न त कब्बो मास्क लगवलीं, न कुछु बरउंली। अब त सब इनके कोरोना क माई कहे लागल बा। अब जब ई कोरोने क माइये हईं त ई बीमारी इनके का बुझाई। दरअसल मजाकिया लहजे में उसका यह बयान वह संदेश दे रहा था, जो आज बड़े-बड़े डाक्टर दे रहे हैं। 'मनोबल को बढ़ाना है, कोरोना को हराना है।