Move to Jagran APP

हाल-बेहाल : आखिर कौन है यह शख्‍स

इस बार का साप्‍ताहिक कॉलम पूरी तरह से नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य प्रणाली पर फोकस किया गया है। पार्षद की कार्य प्रणाली पर भी व्‍यंग्‍य किया गया है। आप भी पढ़े गोरखपुर से दुर्गेश त्रिपाठी का साप्‍ताहिक कालम हाल-बेहाल।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 04:45 PM (IST)
हाल-बेहाल : आखिर कौन है यह शख्‍स
गोरखपुर नगर निगम भवन का फाइल फोटो।

दुर्गेश त्रिपाठी, गोरखपुर। सफाई महकमे में इन दिनों वीरेंद्र के नाम की तूती बोल रही है। गोलमाल वाला जो भी काम होता है, उसमें वीरेंद्र का नाम आ जाता है। कभी चालकों को वाहन दिलाने, तो कभी ठीकेदारी में। कुछ दिन पहले एक मेडिकल स्टोर खाली कराने में भी वीरेंद्र का नाम आया था। ज्यादातर लोगों ने अभी उनको देखा नहीं है, लेकिन नाम ही काफी हो गया है। एक साहब के पास एक छोटे वाले माननीय बैठे थे। चर्चा काम कराने को लेकर होने लगी, तो साहब बोले कि सबका काम निष्पक्ष तरीके से हो रहा है। माननीय भी काफी तेज तर्रार टाइप के ही हैं। बोले कि, सबका नहीं सिर्फ वीरेंद्र का।

loksabha election banner

जब कमल की आवाज बनी साइकिल

 एक छोटे माननीय शरीर के साथ ही कद में भी बड़े हैं। जिससे मिलते हैं, वह उनका मुरीद हो जाता है। चेहरे पर मुस्कुराहट हमेशा बनी रहती है। हालांकि पिछला इतिहास हल्का-फुल्का रक्तरंजित टाइप का है। पहले पंजा लेकर घूमते थे, अब कमल का फूल खिला रहे हैं। इलाके में नाला बनाने के लिए बजट आया। काम शुरू होने के साथ ही बंद भी हो गया। छोटे माननीय ने यह मामला महकमे के सदन की बैठक में उठा दिया। जैसे ही उन्होंने मामला उठाया, साइकिल वाले माननीय ने भी उनके सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया। अचानक साइकिल वाले माननीय के फास्ट होने से वह भी अचकचा गए, लेकिन बाऊ जी और बड़े साहब को घेरने में जुटे साइकिल वाले छोटे माननीय को बड़ा मौका मिल गया। लगे नीचे से ऊपर तक के अफसरों की लापरवाही के किस्से सुनाने। बड़े साहब ने जांच की जानकारी दी तब शांत हुए।

विद्रोही तेवर से उड़े होश

शहर के उत्तरी हिस्से वाले छोटे माननीय के इलाके में भी नई सड़क बननी है। सड़क बनाने की शुरुआत में बड़ा कार्यक्रम रखा गया था। इलाके का कार्यक्रम था, तो छोटे माननीय ने भी भीड़ जुटाने की तैयारी कर ली थी। अचानक पता चला कि शहर के माननीय का कार्यक्रम भी यहीं लगा दिया गया है। यह सुनते ही छोटे माननीय विद्रोही तेवर दिखाने लगे। अफसरों को खरी-खरी सुनाई, तो मामला ऊपर पहुंच गया, लेकिन अपने स्वभाव के अनुरूप छोटे माननीय मानने को तैयार नहीं थे। दोनों में पुरानी अदावत जगजाहिर है, लेकिन कमल दल ने न जाने किस गणित के खतरनाक सवालों को हल करने के लिए एक मंच पर दोनों को रखने की योजना बना दी थी। आखिरी समय में छोटे माननीय का रुख देख अफसर अनुरोध की मुद्रा में आ गए। किसी तरह उन्हें मनाया गया। अफसरों की टीम भी लगाई गई। तब कहीं जाकर कार्यक्रम हुआ।

साहब के सामने खुल गई पोल

सफाई महकमे में चालकों का खेल पुराना है। चालकों ने अपने चालक रख लिए हैं। खुद बिना काम के तनख्वाह लेते हैं और जिन्हें काम पर रखा है, वह महकमे का तेल चुराकर मस्ती कर रहे हैं। ऊपर से नीचे तक सभी को पता है कि फलां को गाड़ी चलाना नहीं आता और कई तो ऐसे हैं, जिन्हें आज तक गाड़ी स्टार्ट करना भी नहीं आया। कार्रवाई की बात आती है, तो सब पीछे हट जाते हैं। एक चालक ट्रैक्टर चलाते-चलाते ऊब चुका है। वजह तेल में कटौती है। अब हाइवा चलाना चाहता है। बड़े साहब के सामने हाजिर हुआ, तो उन्होंने सीट फुल होने का हवाला दिया। फिर साहब ने जाल फेंका, बोले- क्या अपने यहां ऐसे भी चालक हैं जिन्हें हाइवा चलाने नहीं आता। इतना सुनते ही चालक ने असलियत बयां कर दी। साहब ने काम न करने वालों की सूची बनाई। अब सबकी जांच हो रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.