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तीसरी नजर : दोस्ती में पिटी पुलिस की भद Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर से नवनीत प्रकाश त्रिपाठी का साप्‍ताहिक कालम तीसरी नजर---

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 05:24 PM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 05:24 PM (IST)
तीसरी नजर : दोस्ती में पिटी पुलिस की भद Gorakhpur News
तीसरी नजर : दोस्ती में पिटी पुलिस की भद Gorakhpur News

नवनीत प्रकाश त्रिपाठी, गोरखपुर। महराजगंज जिले के श्यामदेउरवा इलाके की एक युवती बीते मंगलवार की सुबह गुलरिहा के भटहट कस्बे में अद्र्धनग्न हालत में मिली थी। स्थानीय पुलिस को उसने सोमवार की शाम को गांव के पास से अपहरण कर पांच युवकों के दुष्कर्म करने का बयान दिया। गुलरिहा पुलिस ने छानबीन भी शुरू कर दी। इसी बीच मामले में श्यामदेउरवा पुलिस की इंट्री हुई। कुछ देर बाद ही श्यामदेउरवा इंस्पेक्टर ने युवती को विक्षिप्त और पूरी घटना को गलत बताकर सब कुछ रफा-दफा कर दिया। गुलरिहा पुलिस भी खामोश हो गई। हालांकि बाद में एडीजी की सख्ती के चलते मुकदमा दर्ज करना पड़ा। पता चला कि श्यामदेउरवा इंस्पेक्टर विजय राज ङ्क्षसह की गोरखपुर में कई समकक्षियों से गहरी दोस्ती है। दोस्ती निभाने के लिए सबने मिलकर अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म की घटना को दफन करने का निर्णय लिया था। यह अलग बात है कि उनकी दोस्ती ने पूरे महकमे की भद पिटवा दी।

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अब मेरा जलवा देखेगा जमाना

क्राइम पर काबू पाने के लिए पुलिस महकमे में गठित विशेष ब्रांच के कप्तान की खुशी इन दिनों छिपाए नहीं छिप रही। ऐसा तबसे है जबसे ब्रांच के उप कप्तान (उपाधीक्षक) का तबादला वाराणसी हो गया है। कारण कि जब वह जिले में थे तो ब्रांच की छोटी-बड़ी किसी भी कामयाबी के मौके पर महफिल लूट ले जाते थे। कप्तान साहब देखते ही रह जाते थे। उन्हें लगता था कि उप कप्तान साजिश के तहत उनका नाम चर्चा में नहीं आने देते। उप कप्तान के जिले से जाने के बाद से ही कप्तान साहब सारी दुनिया मु_ी में कर लेने के लिए जान लगा दिए हैं। सक्रियता भी काफी दिखा रहे हैं। हालांकि उनकी कार्यप्रणाली ऐसी है कि कामयाबी की कभी कोई इबारत लिख नहीं पाते। इसके बाद भी करीबियों से बातचीत में वह यह कहने से खुद को रोक नहीं पा रहे हैं कि अब मेरा जलवा जमाना देखेगा।

बात अब मूंछ की

सालों पहले फिल्म आई थी शराबी। इस फिल्म के पात्र नत्थूलाल की मूंछ को खूब प्रसिद्धि मिली थी। हालांकि नत्थूलाल की मूंछ कभी फैशन में नहीं आई, लेकिन 2011 में आई फिल्म सिंघम के मुख्य पात्र इंस्पेक्टर सिंघम की मूंछ फैशन बन गई। खासकर पुलिसकर्मियों के बीच। अब शाहों के पुर वाले थाने में तैनात इंस्पेक्टर साहब को ही देखिए, सिंघम की तरह मूंछ रखने के शौकीन हैं। पूर्व में एक थाने में तैनाती के दौरान तो उन्होंने सभी दारोगाओं को सिंघम स्टाइल में मूंछ रखना अनिवार्य कर दिया था। बहरहाल, जिले में महकमे का निजाम बदला, तो इंस्पेक्टर साहब नए कप्तान को सलाम करने पहुंचे। कप्तान की नजर उनकी मूंछ पर गई, जो उनके चेहरे को प्रभावशाली दिखाने की जगह हास्यास्पद लग रही थी। कप्तान ने तुरंत मूंछ ठीक कराने का फरमान सुना दिया। तभी से महकमे में हर तरफ इंस्पेक्टर साहब की मूंछ चर्चा में आ गई है।

बड़े बे-आबरू होकर तेरे कूचे से

अनंत देव, जिले में एसएसपी थे, तो कम्युनिटी पुलिस को बढ़ावा देने के लिए नया प्रयोग किया था। हर गांव और मोहल्ले में सात से दस लोगों को विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) बनाया था। अपने हस्ताक्षर से उनके लिए विशेष पुलिस अधिकारी का पहचान पत्र भी जारी किया था, जिसकी वैधता 2028 तक है। अनंत देव के जाने के बाद कई एसपीओ ने पहचान पत्र को कमाई का जरिया बना लिया। पिछले दिनों एक एसपीओ कुछ लोगों को साथ लेकर शाहपुर थाने के एक दारोगा के पास पहुंचे। पहचान पत्र दिखाकर दारोगा को अर्दब में लिया। फिर साथ आए लोगों की मदद करने का फरमान सुनाया। दारोगा को एसपीओ का खेल समझते देर नही लगी। उसने साथ आए लोगों के सामने ही उन्हें खरी-खरी सुना दी। बे-आबरू होने के बाद खीस मिटाने के लिए अधिकारियों से शिकायत करने की बात कहते हुए उन्होंने वहां से निकलने में ही भलाई समझी।


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