Move to Jagran APP

चौपाल : जब तक है कोरोना, ना रोना Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर से जितेन्द्र पाण्डेय का साप्‍ताहिक कॉलम-चौपाल---

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 11:00 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 11:00 PM (IST)
चौपाल : जब तक है कोरोना, ना रोना Gorakhpur News
चौपाल : जब तक है कोरोना, ना रोना Gorakhpur News

जितेन्‍द्र पांडेय, गोरखपुर। कोरोना संकट शुरू होने के बाद से पेड़-पौधे वाले विभाग के साहब की तबीयत में सुधार हो रहा है। बीते दिनों उनके क्षेत्र में 450 से अधिक पेड़ कट जाने से तबीयत बिगड़ गई थी। बेचारे बीपी की दवा खाकर किसी तरह काम चला रहे थे। उन्हें डर था कि कहीं उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई न हो जाए। उन्होंने बगल वाले रेंज के एक साहब से मार्गदर्शन मांगा, तो उन्होंने कहा कि तुम पेड़ कटने को लेकर परेशान हो। मैंने तो पौधे ही नहीं लगने दिए। छह माह से जांच चल रही है, कुछ नहीं हुआ। फिर भी साहब को राहत नहीं मिल रही थी। इसी दौरान देश में कोरोना का प्रकोप शुरू हो गया। पहले जनता कफ्र्यू, फिर लॉकडाउन शुरू हो गया। साहब को यकीन हो गया है कि अब तो मामला सामान्य होने में कम से कम छह माह लगेंगे और तब तक पता नहीं कौन कहां होगा?

loksabha election banner

साहब गदगद, सबको दे दिया राशन

खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने वाले महकमे के साहब पर इन दिनों कुछ ज्यादा ही जिम्मेदारी है। सब्जी-राशन का वितरण, वाहनों की व्यवस्था सब उन्हीं के जिम्मे है, लेकिन करें भी तो क्या, आफत की घड़ी जो है। साहब शुरुआत में परेशान दिखे, लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि आठ दिन में ही साढ़े छह लाख परिवारों को राशन मिल गया, वह खुशी से फूले नहीं समा रहे। इसी दौरान किसी ने कह दिया कि राशन वितरण में फिजिकल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गईं। राप्तीनगर के पास वाली सरकारी दुकान पर राशन लेने के लिए लोग एक साथ टूट पड़े। भले ही सारे इंतजाम कोरोना वायरस से बचाव के लिए हों, पर राशन लेने के चक्कर में लोगों को इसका ध्यान नहीं रहा। साहब भी उदार हृदय वाले ठहरे, कहते हैं छोडि़ए इसे। सभी को राशन मिल गया न। अब फिजिकल डिस्टेंस के आधार पर लोगों को राशन दिया जाएगा।

अकेली जान, किस-किस का रखें ध्यान

कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए जनता कफ्र्यू के बाद से सबकुछ पूरी तरह बंद है। लोगों को जरूरत का सामान घर तक पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में सबसे अधिक परेशान पशुपालक हैं। चारे के संकट से निजात पाने के लिए पशुपालक तैयारी में थे कि गेहूं कटने पर भूसा एकत्र करेंगे, पर सबकुछ अचानक होने से उन्हें मौका ही नहीं मिला। उन्होंने सोचा कि अब तो पशुओं की सेहत का ख्याल रखने वाला विभाग ही कुछ कर सकता है। उन्होंने साहब से मदद की गुहार लगाई। साहब ने सीधा जवाब दिया कि जानवर पालते हो तो चारे की अग्रिम व्यवस्था क्यों नहीं करते। पशुपालक उनके सामने गिड़गिड़ाने लगे, तो साहब की पीड़ा भी फूट पड़ी। बोले, अकेले आखिर किन-किन चीजों का ख्याल रखें। सड़क पर घूमने वाले पशुओं पर ध्यान दें, अस्पतालों में आने वाले मवेशियों की चिंता करें या फिर उनके बचाव के लिए टीके मंगवाएं।

कोरोना संकट है, कुछ न पूछिए

व्यापारियों के सुख-दुख की चिंता करने वाले साहब इन दिनों राहत में दिख रहे हैं। यह बात और है कि किसी के पूछने पर कहते हैं कि क्या बताएं, इस कोरोना ने तो बड़ा नुकसान किया है। उन्हें जिम्मेदारी दी गई थी कि मार्च तक अधिक से अधिक व्यापारियों का पंजीयन कराएं, लेकिन मार्च तो कोरोना की आफत में निकल गया और काम अधर में है। साहब के कार्यों की चर्चा एक अन्य विभाग में भी खूब है। लोगों को मनोरंजन कराने वाला विभाग भी साहब के पास है। यह विभाग जब से साहब के पास है, उन्होंने कभी किसी की तरफ नहीं देखा। लोगों की जो मर्जी वो करें, साहब जांच करने वाले नहीं हैं। इसी बीच किसी ने साहब से पूछ लिया कि पंजीयन के लिए उन्हें जो डाटा मिला था, उसका क्या हुआ। साहब ने कहा कि हर तरफ कोरोना वायरस का प्रभाव है, कुछ न पूछिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.