परिसर से-अंदर तक 'सैनिटाइज हुए गुरुजी Gorakhpur News
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गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर गुरुजी कुछ अधिक सजग हैं, इसलिए जनता कफ्र्यू से पहले से एहतियात बरत रहे हैं। जनता कफ्र्यू से एक दिन पहले की बात है। गुरुजी मॉस्क लगाकर शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर के नियंत्रण भवन पहुंच गए। वहां साहब की देखरेख में बड़े वाले मूल्यांकन की तैयारियां चल रही थीं। गुरुजी पर नजर पड़ी तो सभी ने उनकी सजगता की सराहना की। कुछ देर बाद जैसे ही गुरुजी ने सुझाव देने के लिए मुंह खोला, सजगता की पोल खुल गई। लोगों को समझते देर नहीं लगी कि गुरुजी अंदर तक फुल 'सैनिटाइजÓ होने के बाद मॉस्क लगाकर पहुंचे हैं। साहब ने कुछ देर तक उन्हें नजरअंदाज किया, लेकिन बाद में उनसे पीछा छुड़ाने का अवसर तलाशने लगे। काफी कोशिश के बाद पीछा छूटा और गुरुजी लहराते हुए भवन से बाहर निकल गए। गुरुजी की सजगता और सतर्कता का कारनामा चर्चे में बना हुआ है।
कोरोना से 'गुरुजी को आ रहा रोना
कोरोना वायरस ने गुरुजी को मुसीबत में डाल दिया है। खाना बनाना, बर्तन साफ करना, कपड़े धोना, इन्हीं कामों में दिन गुजर रहा है। उनका सबसे बड़ा कष्ट यह है कि शादीशुदा होते हुए भी घर में अकेले हैं। दरअसल 'जीवन संगिनी शहर से बाहर थीं, तभी लॉकडाउन की घोषणा हो गई। ऐसे में वह गोरखपुर नहीं पहुंच सकीं और गुरुजी बेचारे यहां फंस गए। फोन पर जीवन संगिनी से बातचीत करते हैं, तो थोड़ा सुकून जरूर मिलता है। ऐसे में कोई शुभचिंतक उनका हालचाल लेता है, तो गुरुजी का दर्द छलक पड़ता है। कोरोना का नाम लेकर मायूस हो जाते हैं। कहते हैं, शिक्षण संस्थान, सरकारी व निजी दफ्तर सभी बंद हैं। वायरस का कहर रोकने के लिए यह बेहद जरूरी है। हर किसी को इसका पालन करना चाहिए। मैं खुद लॉकडाउन का पूरी तरह पालन कर रहा हूं। घर में अकेला हूं, सारे काम खुद कर रहा हूं।
संकट में भी 'श्रेय लेने की होड़
कोरोना संकट को लेकर सरकार ने पीडि़तों की मदद के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। भोजन से लेकर सैनिटाइजर, मॉस्क व दवाएं बांटने में अधिकारी जी-जान से जुटे हैं। सरकार ने राहत कोष की स्थापना की है, जिसमें समाजसेवी, संस्थाएं व अधिकारी-कर्मचारी अंशदान दे रहे हैं। शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर में भी बड़े साहब की अपील पर शिक्षक व कर्मचारी अंशदान के लिए आगे आए हैं। मजे की बात यह है कि इन दिनों बड़े साहब शहर से बाहर हैं। मदद के लिए अपील भी उन्होंने वहीं से की। ऐसे में यहां मौजूद कई छोटे साहब उनकी गैरमौजूदगी का फायदा उठाने की कोशिश में जुट गए। कोरोना को लेकर अंशदान की अपील में 'श्रेयÓ लेने की होड़ मच गई। लोग अपनी दावेदारी जताने लगे। किसी तरह से यह बात बड़े साहब तक पहुंच गई। वह बहुत नाराज हुए। यह पूरा वाकया शिक्षकों-कर्मचारियों के बीच इन दिनों चर्चा में है।
'प्रमोशन पर लगा कोरोना ग्रहण
शिक्षा के सबसे बड़े मंदिर के विभिन्न विभागों में गुरुजनों की नियुक्ति से लेकर प्रमोशन तक सब पर कोरोना वायरस का प्रकोप है। लंबे समय से बड़े साहब के दरबार के चक्कर लगा रहे गुरुजन लॉकडाउन होते ही निराश हो गए हैं। लगता है, उनके किए कराए पर पानी फिर गया है। बात भी सोलह आने सच है। सुबह से लेकर शाम तक वे बड़े साहब के दरबार की 'गणेश परिक्रमाÓ करते थे। आशीर्वाद लेते थे कि इसी बहाने उनका कल्याण हो जाए, लेकिन कोरोना ने ऐसा कहर ढाया कि सबकुछ सैनिटाइज हो गया। अचानक लॉकडाउन की घोषणा के बाद शिक्षा का सबसे बड़ा मंदिर बंद हो गया। एक कदम आगे बढऩे का उनका सपना अधर में लटक गया। सभी परेशान हो गए। हालांकि उन्हें बड़े साहब से मिला आश्वासन राहत तो दे रहा है, लेकिन यह भी लग रहा है कि एक बार फिर से उन्हें प्रक्रिया दोहरानी होगी।