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कुलपति ने कहा-देश की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगी नई शिक्षा नीति Gorakhpur News

पूरी तरह से कुशल और दक्ष भारत और वैश्विक स्तर पर एक समृद्ध भारत को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति लाई गई है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 07:59 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 07:59 PM (IST)
कुलपति ने कहा-देश की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगी नई शिक्षा नीति Gorakhpur News
कुलपति ने कहा-देश की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगी नई शिक्षा नीति Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विजय कृष्ण सिंह का कहना है कि साढ़े तीन दशक बाद देश में नई शिक्षा नीति लागू हो गई है। यह देश की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगी। इसमें उ'च शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इसकी कार्ययोजना से युवाओं को उ'च शिक्षा लेना पहले के मुकाबले काफी आसान हो जाएगा। प्राथमिक से लेकर उ'च शिक्षा तक में हुए सुधार से व्यापक बदलाव आएगा।  शिक्षा और रोजगार के समन्वय से आत्मनिर्भर भारत के विचार को मजबूती मिलेगी। अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधि को बढ़ावा देने से शिक्षा प्रणाली पहले से अधिक सर्वग्राही और सार्थक होगी।

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सतत मूल्यांकन से परीक्षा का भय होगा समाप्त

उन्‍होंने कहा कि बच्‍चों पर किताबों का बोझ कम होगा, फ्लेक्सिबल एग्जिट सिस्टम से विद्यार्थी एक को छोड़कर दूसरा सब्जेक्ट ले सकेगा। सतत मूल्यांकन से परीक्षा का भय समाप्त होगा। रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। क्षेत्रीय भाषा का फॉर्मूला लागू किए जाने से स्थानीय भाषा का महत्व बढ़ेगा। तकनीक आज के समय की आवश्यकता है और युवाओं को तकनीकी शिक्षा में पारंगत भी होना चाहिए। नई शिक्षा नीति में इसका भी ख्याल रखा गया है। स्कूल में बच्‍चों का प्रदर्शन तीन स्तर पर आंका जाएगा, जिसमें स्वयं विद्यार्थी, सहपाठी और एक शिक्षक भी शामिल रहेगा। इससे बेहतर शैक्षिक आंकलन किया जा सकेगा।

उच्‍च शिक्षण संस्थानों के लिए एक ही नियामक का विचार महत्वपूर्ण

कुलपति का कहना है कि नई शिक्षा नीति में प्रयोग आधारित अध्ययन की बात की गई है, जो बहुत उपयोगी है। स्कूली शिक्षा को सुधारकर ही उच्‍च शिक्षा में सुधार कर सकते हैं। तर्क की धारणा, अनुभव को महत्व और विषयों की बाधाओं को तोडऩा तथा उन्हें समाज के साथ जोडऩा कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं। इससे विश्वविद्यालयों को समाज और दुनिया की चुनौतियों के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करने में काफी सुगमता होगी। भारत में अब उच्‍च शिक्षा समग्र और विविध-विषयों के साथ विज्ञान, कला और मानविकी पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेगा। इसके साथ ही सभी उच्‍च शिक्षण संस्थानों के लिए एक ही नियामक का विचार महत्वपूर्ण है। यह ²ष्टिकोण और उद्देश्य में सामंजस्य स्थापित करेगा। यह भारत में शिक्षा के विचार को मूर्त रूप देने में मददगार होगा। उन्‍होंने कहा कि भारत के सुदृढ़ भविष्य, विकसित भारत, एक सशक्त भारत, एक समर्थ भारत, एक पूरी तरह से कुशल और दक्ष भारत और वैश्विक स्तर पर एक समृद्ध भारत को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति लाई गई है। इस नई शिक्षा नीति का पूरे शिक्षा जगत की ओर से मैं स्वागत करता हूं। 


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