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Lockdown in Gorakhpur: रमजान में फ्रिज से तौबा, घड़ा कर रहे इस्‍तेमाल Gorakhpur News

रोजेदारों ने डॉक्टरों और विशेषज्ञों की राय पर फ्रिज और बर्फ से दूरी बना ली है। वह न केवल खुद घड़ा या सुराही का इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि दूसरों को भी इसकी सलाह दे रहे हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 08:00 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 08:00 PM (IST)
Lockdown in Gorakhpur: रमजान में फ्रिज से तौबा, घड़ा कर रहे इस्‍तेमाल Gorakhpur News
Lockdown in Gorakhpur: रमजान में फ्रिज से तौबा, घड़ा कर रहे इस्‍तेमाल Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना का फैलाव रोकने के लिए घरों में इबादत करने के साथ ऑनलाइन जकात देने वाले रोजेदार खान-पान पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं। संक्रमण से बचने के लिए एयरकंडीशन से दूर रोजेदारों ने फ्रिज के पानी से भी तौबा कर लिया है। गले को तर करने के लिए वह घड़ा या सुराही का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुम्हारों के घर लगने वाली कतार डिमांड बढऩे का प्रमाण है।

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दूसरों को भी दे रहे सलाह

पिछले साल तक रोजेदार इफ्तार के समय गले को तर करने के लिए फ्रिज का ठंडा पानी तथा बर्फ का इस्तेमाल करते थे। पर इस बार कोरोना संक्रमण के चलते रोजेदारों ने डॉक्टरों और विशेषज्ञों की राय पर फ्रिज और बर्फ से दूरी बना ली है। वह न केवल खुद घड़ा या सुराही का इस्तेमाल कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी इसकी सलाह दे रहे हैं।

घड़ा का पानी सेहतमंद

जाफरा बाजार के डॉ. मोहम्मद काशिफ ने घड़े के पानी को सुकून देने के साथ सेहत के लिए फायदेमंद भी बताया। उन्होंने कहा कि यह कब्ज व गले की बीमारी से बचाता है।

पादरी बाजार निवासी काउंसलर खैरुल बशर ने कहा कि पुरानी चीजों से हमारा नाता बरकरार है। जो आनंद घड़े के पानी में है वह फ्रिज में नहीं मिल सकता। जाफरा बाजार के कुम्हार रतन लाल प्रजापति ने बताया कि लॉकडाउन के चलते बिक्री प्रभावित हो गई थी, लेकिन रमजान शुरू होते मांग बढ़ गई है। इंदिरा देवी ने बताया कि रोजेदारों से हम मुनाफा नहीं लेते। हमारे पास 70 से लेकर 200 रुपये तक का घड़ा है।

सदका-ए-फित्र के लिए निकालें 60 रुपये

तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत की ऑनलाइन बैठक हुई, जिसमें रमजान से जुड़े कई मसलों पर चर्चा की गई। तय हुआ कि इस बार हर व्यक्ति को 60 रुपये सदका-ए-फित्र अदा करना है।

मुफ्ती अख्तर हुसैन ने कहा कि हकदारों तक वक्त से पहले फित्र की रकम पहुंचाई जाए जिससे उनकी जरूरतें पूरी हो सकें। रोजे में इबादत में किसी किस्म की कमी रह गई है तो यह फित्र उस इबादत की कमी को पूरा कर देता है। मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने बताया कि सदके की रकम यतीमों  और बेसहारों को दी जाए। मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से लोग मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में लोगों तक मदद पहुंचाना जरूरी हो गया है। अगर ईमानदारी से सदका और जकात निकाला गया तो बहुत से गरीबों की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। बैठक में मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी, मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही, मौलाना मोहम्मद अहमद आदि शामिल हुए।


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