UPSC में चौथी रैंक हासिल करने वाली स्मृति का गोरखपुर से खास रिश्ता, बोलीं- छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करें
यूपीएससी परीक्षा में चौथी रैंक हासिल करने वाली स्मृति के पिता की नौकरी के शुरुआती दिन गोरखपुर में ही गुजरे। इसके बाद उनका ट्रांसफर आगरा में हुआ। स्मृति का कहना है कि धैर्य और निरंतरता सफलता का सबसे बड़ा राज है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी में चौथी रैंक हासिल करने वाली स्मृति मिश्रा की पूरे देश में चर्चा है। इनका जन्म गोरखपुर में हुआ। इसके बाद में पिता का स्थानांतरण आगरा में हो गया। आगरा के सेंट क्लेयर्स से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की है। स्मृति ने 12वीं के बाद आगरा से दिल्ली आ गईं और मिरांडा हाउस से बीएससी आनर्स करने के बाद से ही सिविल सर्विसेस की तैयारी में जुट गईं।
स्मृति के पिता राजकुमार मिश्रा की सेवा के शुरुआती दिन गोरखपुर में ही गुजरे। वह उस समय भी विभागीय भीड़ से अलग नजर आते थे। वह तिवारीपुर, गगहा और शाहपुर के थानेदार भी रहे, पर कभी इस होड़ में नहीं रहे कि थानेदारी ही करनी है। लिहाजा उनकी सर्विस का अधिकांश समय एसएसपी या आइजी के पेशकार के रूप में ही गुजरा। बाद की पोस्टिंग में भी यही उनकी पसंद रही। इससे वह उनकी पत्नी अनिता बच्चों की पढ़ाई पर खास तौर पर फोकस कर सके। राजकुमार मूलरूप से इलाहाबाद के हैं। सैनिक स्कूल की पढ़ाई और एक स्पोर्ट्स मैन (बाक्सर) के रूप में जो संस्कार एवं अनुशासन उनको मिला था उसका असर बच्चों पर भी पड़ना स्वाभाविक है।
यूपीएससी एक दिन की परीक्षा नहीं
स्मृति का कहना है कि यूपीएससी एक दिन की परीक्षा नहीं है। छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करें। धैर्य और निरंतरता सफलता का सबसे बड़ा राज है। अच्छे नोट्स बनाकर उन्हें सही से पढ़ने पर सफलता की संभावना बढ़ जाती है। ''''मैंने इन्हीं टिप्स पर ध्यान दिया, पढ़ने के घंटे पर कभी बहुत गौर नहीं किया।'''' स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने अपने भाई एडवोकेट लोकेश मिश्र के साथ नोएडा में किराए के मकान में रहकर यूपीएससी की तैयारी की थी। कोरोना संक्रमण के दौरान आनलाइन कोचिंग से पढ़ाई की। मोबाइल फोन और लैपटाप का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई के लिए करती रही।