गोरखपुर, डॉ. राकेश राय। गोरखपुर जिले में वार्डों के आरक्षण की सूची जारी होने के बाद भाजपा से टिकट के दावेदारों की स्थिति असहज हो गई। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि वह किस पर ध्यान दें। टिकट के लिए गणित बैठाने पर या फिर मतदाताओं को सहेजने पर। गणित पर ध्यान देने पर मतदाताओं के टूटने का डर है तो मतदाताओं के सहेजने के चक्कर में टिकट की दौड़ से बाहर होने का। इस फेर में कुछ वार्डों से बगावत के सुर उभरने लगे हैं। जिन दावेदारों ने अब तक चुनाव के नजरिये से पर्याप्त धनराशि खर्च कर दी है, वह टिकट न मिलने की स्थिति में भी चुनाव में ताल ठोकने की बात कह रहे हैं। ऐसे दर्जनों बगावती चेहरे भाजपा नेतृत्व के लिए चुनौती बन रहे हैं। पार्टी इन्हें सहेजने की रणनीति बना रही है।

मतदाताओं को सहेजने के साथ पार्टी को दे रहे चेतावनी

पार्टी से टिकट के जिन दावेदारों ने हर हाल में चुनाव लड़ने का निर्णय ले लिया है, उनके निर्णय के दो निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। पहला टिकट मिलने तक मतदाताओं को सहेजने और दूसरा पार्टी को मजबूत दावेदारी की धमकी देने। इनमें से कुछ का तो सिर्फ पार्टी को धमकी देने का ही मकसद है। कुछ यह आधार बनाकर दोहरी नीति पर चल रहे हैं कि कहीं ऐसा न हो कि टिकट की गणित सफल हो जाए लेकिन इस प्रयास में मतदाता को रिझाने पर दूसरा प्रत्याशी सफल हो जाए। उन वार्डों में इसे लेकर ज्यादा असहज स्थिति है, जिसमें पार्टी के एक से अधिक पुराने कार्यकर्ताओं की दावेदारी है। बहुत से कार्यकर्ताओं ने पार्टी के प्रति निष्ठा का हवाला देकर टिकट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। परिणाम चाहे जो हो, फिलहाल पार्टी में इसे लेकर ऊहापोह की स्थिति देखने को मिल रही है।

इंटरनेट मीडिया पर उठा रहे सवाल

ऐसे दावेदार, जो आरक्षण की वजह से टिकट की दौड़ से बाहर हो गए हैं, उन्होंने भी अपने-अपने तरीके से इसे लेकर विरोध जताना शुरू कर दिया है। इंटरनेट मीडिया को मंच बनाकर वह वरिष्ठ नेताओं पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं। आरक्षण की वजह से दावेदारी से बाहर हो चुके कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जानबूझ कर उनके वार्ड में ऐसा आरक्षण लागू किया गया है कि विरोध तो दूर वह टिकट की दावेदारी लायक ही न बचें।

क्या कहते हैं अधिकारी

गोरखपुर के भाजपा महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने बताया कि पार्टी में टिकट का निर्णय एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने के बाद ही किया जाता है। ऐसे में किसी निष्ठावान कार्यकर्ता से बगावत की उम्मीद नहीं की जाती, क्योंकि उसे यह प्रक्रिया अच्छी तरह पता होती है। बावजूद इसके अगर कोई कार्यकर्ता टिकट न मिलने नाराज होता है तो पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को उन्हें समझाने-बुझाने में लगाया जाएगा।

Edited By: Pragati Chand