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एजेंडा वोटर का: खेतिहर पट्टी को चाहिए कृषि विश्वविद्यालय, पूर्वांचल के इस कालेज के पास है पूरी योग्यता

देवरिया जिले का बीआरडी पीजी कालेज एक ऐसा संस्थान है जहां कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान होते रहते हैं। इस कालेज में कृषि शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न आयाम पर शोध हो रहा है। ऐसे में हर चुनाव में इस कालेज को कृषि विश्वविद्यालय बनाने की मांग उठती रही है।

By Pragati ChandEdited By: Published: Wed, 23 Feb 2022 10:50 AM (IST)Updated: Wed, 23 Feb 2022 10:50 AM (IST)
देवरिया के बीआरडी पीजी कालेज को कृषि विश्वविद्यालय बनाने की मांग। (सांकेतिक तस्वीर)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पूरब की धरती सदा से हरी-भरी रही है। यहां खेत खलिहान लहलहाते रहे हैं तो मेधा भी पुष्पित-पल्लवित होती रही है। जब मेधा को उचित सुविधा मिली तो उसने देश-दुनिया में अपना झंडा फहराया। कृषि के क्षेत्र में देवरिया के पास ऐसी ही मेधा है, बस सुविधाओं की दरकार है। उत्तर प्रदेश के चार प्रमुख क्षेत्र अवध, पश्चिम, मध्य उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड में कृषि विश्वविद्यालय तो है, लेकिन पूर्वांचल आज भी इसकी बाट जोह रहा है। उसकी यह आस बाबा राघव दास स्नातकोत्तर (बीआरडीपीजी) महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाकर पूरी हो सकती है। देवरिया से महेंद्र कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट।

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विश्वविद्यालय बनने से बढ़ेंगी सुविधाएं

गोरखपुर-बस्ती मंडल में देवरिया का बीआरडीपीजी कालेज ऐसा संस्थान है, जहां कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान होते रहते हैं। विश्वविद्यालय बनने से सुविधाएं बढ़ेंगी और शोध भी, इसलिए हर चुनाव में यह मांग उठती है और आज भी है। 1954 में स्थापित बीआरडीपीजी कालेज आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध था, जो 1957 में स्थापित गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध हो गया। इस महाविद्यालय के पास करीब 56 एकड़ कृषि क्षेत्र है, जहां छात्र एवं शोधार्थी बीज से लेकर खाद तक, विभिन्न प्रयोग करते रहते हैं। कृषि शिक्षा के क्षेत्र में यह एकमात्र कालेज है, जहां उत्तर प्रदेश के अलावा नेपाल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, सहित अन्य प्रदेशों के छात्र कृषि संबंधी पढ़ाई के लिए आते हैं।

इस कालेज में कृषि शिक्षा के क्षेत्र में जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग के विभिन्न आयाम पर शोध हो रहा है तो कृषि प्रसार, कृषि अर्थशास्त्र एवं कृषि कीट विज्ञान विषय पर भी छात्र शोध कर रहे हैं। कृषि के अलावा कला वर्ग, जीव विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान समेत 16 विषयों की मान्यता है। यहां संसाधन भी हैं, शिक्षक भी हैं, छात्र संख्या भी है जो कृषि विश्वविद्यालय की जरूरत को पूरी करने में मदद करेगा।

विवि से बढ़ेगा कृषि आधारित उद्योग

देवरिया समेत गोरखपुर व बस्ती मंडल के सभी सात जिलों में गन्ना, हल्दी व सब्जी की खेती बहुतायत में होती है। इस क्षेत्र में फूड पार्क बनने की भी संभावना है, इसलिए कृषि विश्वविद्यालय से कृषि, डेयरी व पशुपालन संबंधित उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

क्या कहते हैं अधिकारी

  • देवरिया बीआरडीपीजी कालेज के पूर्व प्राचार्य अवधेश सिंह ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह एकमात्र पीजी कालेज है, जहां कृषि संबंधी शोध होता है। यहां विश्वविद्यालय की तरह सभी विभाग अलग-अलग हैं। इस कालेज के पास विश्वविद्यालय बनने की पूरी योग्यता है।
  • मदन मोहन मालवीय पीजी कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राम औतार वर्मा ने बताया कि कृषि विवि से आसपास के क्षेत्र तक विकास होगा। किसानों को नई तकनीक मिलेगी। यह इलाका कृषि के क्षेत्र में समृद्धिशाली होगा।

क्या कहते हैं विद्यार्थी

  • गौरा की बीएड छात्रा झुनझुन मिश्रा ने कहा कि जनप्रतिनिधि बीआरडीपीजी कालेज को कृषि विश्वविद्यालय बनाने के लिए प्रयास करें। क्षेत्र के विकास के लिए कृषि विश्वविद्यालय जरूरी है, ताकि कृषि शिक्षा की पढ़ाई यहीं हो सके।
  • लेहड़ा के पूर्व छात्र एवं किसान मृत्युंजय यादव ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय न बनना जनप्रतिनिधियों की उदासीनता है। बीआरडीपीजी कालेज को विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाना चाहिए।

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